सुप्रीम कोर्ट में एक मूक-बधिर वकील ने पहली बार इशारों की भाषा में अपनी दलीलें पेश की। प्रधान न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की पीठ ने इस वकील को दुभाषिए की मदद से बहस की इजाजत दी थी। कोर्ट तक वो बातें पहुंची। बंगलुरु की रहने वाली मूक बधिर वकील सारा सनी की बातें दुभाषिए सौरभ राय चौधरी की मदद से पहुंच पाई।
सनी को वर्चुअली कोर्ट के सामने लाने के लिए वीडियो स्क्रीन स्पेस देने से अदालत के कंट्रोल रूम ने मना कर दिया था। लेकिन बहस शुरू हुई और स्क्रीन पर सौरभ राय चौधरी, सारा से मिले इशारों को अदालत को समझाने लगे। बहस के दौरान जब न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इशारे समझकर सौरभ राय चौधरी को दलीलें देते सुना तो स्टाफ और सौरभ दोनों से कहा कि सारा सनी को भी स्क्रीन पर जगह दी जाए। इसके बाद दोनों स्क्रीन पर आए और अपनी बात पीठ को समझाई। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अदालत में यह अद्भुत दृश्य पिछले शुक्रवार को देखने को मिला।
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ न्याय तक समान पहुंच सुनिश्चित करने की हमेशा वकालत करते रहे हैं। पिछले साल ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट परिसर के व्यापक एक्सेसिबिलिटी आडिट कराने के आदेश दिए थे। इसका उद्देश्य दिव्यांगों के लिए न्याय प्रणाली को और अधिक सुलभ बनाना और सुप्रीम कोर्ट आने वाले सक्षम व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझना था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने देश भर की अदालतों को विकलांग वकीलों और वादियों के स्वागत योग्य स्थानों में बदलने के अपने मिशन पर लगातार आवाज उठाई है।
प्रधान न्यायाधीश ने खुद भी दो दिव्यांग बेटियों को गोद लिया है। इस साल की शुरूआत में सुप्रीम कोर्ट में सुबह करीब दस बजे उस समय सब हैरान हो गए थे जब न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ अपनी दोनों दिव्यांग बेटियों (फोस्टर ) को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। इसके बाद वे उन्हें बाहर की तरफ से जहां से वकील और पक्षकार उनकी अदालत में जाते हैं वहां लेकर पहुंचे। इसके बाद खुद दोनों को व्हील चेयर पर ही ले जाकर दिखाया कि अदालत में कैसे कामकाज होता है।