Ram Mandir Ayodhya: उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या में बन रहे राम मंदिर परिसर के पास 100 करोड़ रुपये का ‘मल्टीमीडिया शो फव्वारा’ लगाने की योजना लेकर आई है। यह फाउंटेन कमल के फूल की डिजाइन का होगा। करीब 25 हजार लोग एक साथ एम्फीथिएटर शैली की बैठने की व्यवस्था में इस मेगा फाउंटेन का आनंद ले सकेंगे। यह फाउंटेन 50 मीटर ऊपर तक पानी को फेंकेगा। यह देश में अपनी तरह का अनूठा फव्वारा होगा।
हालांकि, राम मंदिर के उद्घाटन के वक्त यह फव्वारा तैयार नहीं होगा, क्योंकि अभी इस प्रस्ताव पर वर्क किया जा रहा है। योगी सरकार ने इसके लिए जमीन चिह्नित कर ली है। इसको गुप्तार घाट से नया घाट तक 20 एकड़ में कमल के आकार का फव्वारा बनाने की कल्पना की गई है। दुनिया की बड़ी एजेंसियों/कंपनियों को अभी बिड करना बाकी है। अयोध्या प्रशासन को उम्मीद है कि यह एक से डेढ़ साल में बनकर तैयार होगा। यह फव्वारा परिसर वास्तव में दिव्य और भव्य होगा जो राम मंदिर के साथ अयोध्या की भी शोभा बढ़ाएगा।
अयोध्या के डीएम नीतीश कुमार के अनुसार, यह फाउंटेन अपने आप में अनूठा होगा और दुनिया भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करेगा। इसकी दूरी मंदिर से करीब डेढ़ किलोमीटर होगी। इस भव्य फाउंटेन का प्रपोजल तय हो चुका है, लेकिन अभी इसे कागजों से निकलकर जमीन पर उतरना है। जल्द ही इसके लिए बिडिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इस फव्वारे का उद्देश्य मंदिर के इस हिस्से को प्रतीक्षा क्षेत्र से आध्यात्मिक प्रेरणा की एक ताजा और आरामदायक जगह में बदलना है, जो एक तरह से मंदिर का पूरक है। यह भगवान राम की महाकाव्य कहानी बताने के लिए एक उपयुक्त जगह के रूप में भी काम करेगा, जो तीर्थयात्रियों और पर्यटकों दोनों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव देगा। इसका उद्देश्य एक ‘जादुई जगह’ बनाना है, जहां जल तत्व” आगंतुकों को शांत होने, प्रार्थना करने और एक साथ आने का मौके देगा।
दस्तावेजों में बताया गया है कि मल्टीमीडिया शो फाउंटेन को शांति और आत्मनिरीक्षण के अभयारण्य, श्रीराम मंदिर के शांत दायरे में अपनी जगह मिल गई है। इस फव्वारे का उद्देश्य राम मंदिर परिसर में मात्र एक शोभा बढ़ाने वाली जगह होने से कहीं अधिक है. वास्तव में यह मंदिर के लोकाचार को बढ़ाने के रूप में कार्य करता है और उसी शांति और शांति का प्रतीक है जो मंदिर से उत्पन्न होता है।
फाउंटेन का डिजाइन कमल के फूल की तरह होगा, जो भारत का राष्ट्रीय फूल है और बीजेपी का चुनाव चिह्न भी है और भारतीय संस्कृति से मेल खाता है। फव्वारे के डिजाइन में हिंदू धर्म की सात पवित्र नदियों- गंगा, यमुना, सरस्वती, सिन्धु, नर्मदा, गोदावरी और कावेरी के प्रतीक के रूप में कमल से प्रेरित सात पंखुड़ियां शामिल हैं। दस्तावेजों में कहा गया है कि फव्वारे में केंद्रीय फूल बनाने वाली सात पंखुड़ियां भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का प्रतीक हैं।
फाउंटेन के सभी 7 प्रवेश द्वार हिंदू धर्म की सात पवित्र नदियां का प्रतीक होंगे। आगंतुकों के बैठने के लिए फव्वारे के चारों ओर उपलब्ध एम्फीथिएटर को सात भागों में बांटा जाएगा। सभी प्रवेश द्वार के बीच बैठने की जगह भारत की दिव्य भूमि का प्रतीक हैं, जहां से होकर पवित्र नदियां गुजरती हैं।
फव्वारा कमल के आकार की पंखुड़ियों के तीन स्तरों से बनने वाला है। पंखुड़ियों के हर स्तर के शीर्ष पर स्प्रे से पानी के विशाल बादल बन जाएंगे, जो फव्वारे में एक शाही रंग-रूप देंगे। पंखुड़ियों के किनारों पर बहता पानी सीढ़ीदार झरने बनाएगा।
फाउंटेन दर्शकों को अलग-अलग अनुभव कराएगा। दिन के वक्त यह कई चरणों वाले झरने जैसा होगा, जो ताजगी और शांति का अहसास कराएगा। शाम के बाद यह एक विशाल मंच में परिवर्तित हो जाएगा और शो के दौरान रामायण की दुनिया का अनुभव कराएगा। दस्तावेज में कहा गया है कि केंद्रीय पूल पूरे परिसर को केंद्र बिंदु है। व्यास उसका 100 मीटर है। यहां पर पानी, रोशनी और आवाज को मिलाकर मल्टीमीडिया शो चलेगा।
इस पूल के 7 प्रवेश द्वार पर पानी की सुरंगें होंगी, जो अपने मनमोहक आकर्षण के साथ लोगों को केंद्रीय पूल की ओर आकर्षित करेंगी। पानी, रोशनी और वास्तुशिल्प डिजाइन की आपसी क्रिया केवल यहां पहुंचने पर ही इसको एक मनोरम यात्रा में बदल देने वाली है, जो फव्वारे के भीतर एक अविस्मरणीय अनुभव के लिए माहौल तैयार करती हैं। विशेष रूप से रात के दौरान पानी की सुरंगें मनमोहक आकर्षण की प्रतीक होंगी, जो आने वाले लोगों का ध्यान अपनी तरफ खीचेंगी।