India’s First Hydrogen Bus: देश में हाइड्रोजन से चलने वाली बस लॉन्च हो गई है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली में 2 बसों को हरी झंडी दिखाई। हाइड्रोजन बसों को देश में प्रदूषण कम करने के लिए बड़ा प्रोजेक्ट माना जा रहा है। हाइड्रोजन बसें प्रदूषण नहीं फैलाती हैं। फिलहाल इन बसों को ट्रायल के तौर पर चलाया जाएगा। सरकार दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में 15 और फ्यूल सेल बसें चलाने की योजना बना रही है। केंद्रीय मंत्री ने इस मौके पर कहा कि हाइड्रोजन को फ्यूचर का फ्यूल माना जाता है, जिसमें भारत को डीकार्बोनाइजेशन टार्गेट को पूरा करने में मदद करने की आपार क्षमता है। उन्होंने कहा कि 2050 तक हाइड्रोजन की ग्लोबल मांग चार से सात गुना बढ़कर 500-800 मिलियन टन होने की उम्मीद है।
ये हाइड्रोजन बसें 3 लाख किलोमीटर का सफर तय करेंगी। इसका मतलब है हाइड्रोजन से चलने वाली ये बसें एक बार में करीब 300 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर पाएंगी। पारंपरिक आईसी इंजनों की तापीय दक्षता 25 प्रतिशत की तुलना में ईंधन सेल की विद्युत दक्षता 55-60 प्रतिशत है। हरदीप पुरी ने इस मौके पर बताया कि इन बसों में 2.5-3 किमी/लीटर डीजल बसों की तुलना में 12 किमी/किलोग्राम हाइड्रोजन की उच्च ईंधन अर्थव्यवस्था होगी। असल में ग्रीन हाइड्रोजन को रिन्यूवल एनर्जी सोर्स से तैयार किया जाता है। इसके तैयार होने और इस्तेमाल होने में पॉल्यूशन कम होता है, इसीलिए इसे लो-कार्बन फ्यूल के तौर पर जाना जाता है।
Glad to attend flagging off of two Green Hydrogen Fuel Cell buses at India Gate in the august presence of Hon’ble Union Minister for Petroleum & Natural Gas and Housing & Urban Affairs Sh @HardeepSPuri ji. (1/3)@PMOIndia @PetroleumMin pic.twitter.com/T1yIdNHkGG
हरदीप पुरी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की वजह से प्रदूषण में लगातार इजाफा हो रहा है। इसे रोकने की पहल में देश में हाइड्रोजन से चलने वाली पहली बसों की शुरुआत की गई है। इस बीच इलेक्ट्रिक गाड़ियों, इथेनॉल और दूसरे ऑप्शनल फ्यूल पर चलने वाले व्हीकल्स पर भी फोकस किया जा रहा है। भारत आने वाले बीस सालों में दुनियाभर की 25 प्रतिशत एनर्जी की डिमांड करने वाला देश बन जाएगा। ऑप्शनल फ्यूल के इस्तेमाल के बाद हमारा देश आने वाले समय में ग्रीन हाइड्रोजन के एक्सपोर्ट में सबसे आगे होगा। इतना ही नहीं साल 2050 तक ग्लोबल हाइड्रोजन की डिमांड चार से सात गुना बढ़ सकती है। इसके अलावा घरेलू ग्रीन हाइड्रोजन की मांग 28 मीट्रिक टन तक जाने की उम्मीद है।
इनपुट-एजेंसी