उत्तर प्रदेश के स्कूल में मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत यूपी पुलिस के रवैये पर खफा थी। कोर्ट का कहना था कि पुलिस ने जो केस दर्ज किया है वो सारी कहानी को बताने में नाकाम है। अदालत ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि इस मामले की जांच के लिए किसी आईपीएस अधिकारी को नियुक्त किया जाए। वो निष्पक्ष तरीके से सारी हकीकत को सामने लाने का काम करेंगे।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने राज्य सरकार को पीड़ित और घटना में शामिल अन्य छात्रों की काउंसलिंग कराने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि पहली नजर में यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के प्रावधानों के अनुपालन में उत्तर प्रदेश सरकार की नाकामी का मामला है। बेंच ने घटना को गंभीर बताकर कहा कि राज्य सरकार से राज्य भर के स्कूलों में RTE के क्रियान्वयन की स्थिति पर चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करे।
बेंच महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में मामले की त्वरित जांच कराने का अनुरोध किया गया था। इससे पहले छह सितंबर को मुजफ्फरनगर के एसपी से इस मामले पर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने एसपी से छात्र और उसके माता-पिता की सुरक्षा के लिए किए गए उपायों के बारे में सूचित करने को भी कहा। उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी कर 25 सितंबर तक जवाब मांगा गया है।
मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने का आदेश देने की आरोपी शिक्षिका तृप्ता त्यागी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। स्कूल की शिक्षिका का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद ये मामला दर्ज किया गया था। वीडियो में शिक्षिका खुब्बापुर गांव के स्कूल में छात्रों से दूसरी कक्षा के छात्र को थप्पड़ मारने के लिए उकसाती दिख रही हैं। वो सांप्रदायिक टिप्पणी भी करते दिख रही थी।