देश ने कुछ दिन पहले ही ऐतिसाहिसक महिला आरक्षण बिल को पारित होते हुए देखा है। उस बिल के पारित होने के बाद से क्रेडिट पॉलिटिक्स ने जोर पकड़ लिया और दोनों बीजेपी और कांग्रेस श्रेय लेने की होड़ में लग गईं। अब इस बीच एक सर्वे के नतीजे सामने आए हैं जो बताते हैं कि इस बिल के पारित होने से असल में किसे फायदा मिलने वाला है।
ये सर्वे एबीपी और सी वोटर ने मिलकर किया है जिसमें 5 हजार 403 लोगों की राय ली गई। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि इस बिल के पास होने से बीजेपी को ज्यादा फायदा होने वाला है। 36 प्रतिशत लोगों का मानना है कि चुनावी मौसम में महिला आरक्षण बिल से एनडीए को फायदा रहने वाला है, वहीं इंडिया गठबंधन के लिए ये सिर्फ 21 फीसदी है। बड़ी बात ये है कि 19 फीसदी लोग ऐसे भी सामने आए हैं जो मान रहे हैं कि दोनों एनडीए और इंडिया गठबंधन को इस महिला आरक्षण बिल का फायदा हो सकता है।
वैसे इस बिल के तहत संसद और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देने की बात हुई। सरल शब्दों में लोकसभा की जो 543 सीटें हैं, वहां पर 181 महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। इसके अलावा देश में एसी-एसटी के लिए जो 131 सीटें आरक्षित रहती हैं, वहां भी 43 सीटें महिलाओं के लिए रहने वाली हैं। अब ये बिल ऐतिहासिक है, सही मायनों में महिलाओं को सशक्त करने वाला है, राजनीति में उनकी भागीदारी को बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। लेकिन ये इस समय लागू नहीं होने वाला है। कम से कम पांच सालों तक नारी शक्ति वंदन अधिनियम कानून ही नहीं बनने वाला है।
असल में जब तक देश में जनगणना और परिसीमन नहीं हो जाता, नारी शक्ति वंदन अधिनियम कानून नहीं बन सकता है। यानी कि 2029 में ही महिलाओं को इस कानून का फायदा हो सकता है। अब इस बिल का ये वाला प्रावधन ही इसे विवादों में ला रहा है, विपक्ष सरकार की मंशा पर सवाल उठा रही है।