Breach of Privilege: भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर बसपा सांसद दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है। पत्र में दानिश अली ने इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने की अपील की। दानिश अली ने कहा कि वो भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के खिलाफ नियम 222, 226 और 227 के तहत नोटिस देना चाहते हैं।
बसपा सांसद दानिश अली के मुताबिक, ‘बिधूड़ी ने लोकसभा के उनके खिलाफ ‘आतकंवादी’, ‘उग्रवादी’ और कई आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है। यूपी के अमरोहा से लोकसभा सांसद ने अपने पत्र में कहा, ‘मैं आपसे निवेदन करता हूं कि नियम 227 के तहत इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाए। मेरा आग्रह है कि इस मामले में जांच का आदेश दिया जाए।’ बसपा सांसद का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई जरूरी है ताकि देश का माहौल खराब ने हो।
संसदीय विशेषाधिकार सांसदों को दिए गए हैं। भारतीय संसद के किसी भी सदन और उसके सदस्यों और समितियों की शक्तियां और विशेषाधिकार संविधान के अनुच्छेद 105 में निर्धारित हैं। हालांकि, यह तय करने के लिए कोई स्पष्ट, अधिसूचित नियम नहीं हैं कि विशेषाधिकार का हनन क्या है और इसके लिए क्या सजा दी जाएगी। आमतौर पर सदन के दौरान कार्यवाही या सदन के किसी भी सदस्य पर उसके चरित्र या आचरण के संबंध में बोलना या मानहानि छापना या प्रकाशित करना सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन और अवमानना है।
अगर डायरेक्ट तौर पर विशेषाधिकार हनन और अवमानना का मामला पाया जाता है तो अध्यक्ष या सभापति उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए इसे विशेषाधिकार कमेटी को भेज देंगे। समिति इस बात की जांच करेगी कि क्या उनके द्वारा दिए गए बयानों से सदन और उसके सदस्यों का अपमान हुआ है। क्या जनता के सामने उनकी छबि खराब हुई है। समिति के पास अर्ध-न्यायिक शक्तियां हैं। समिति सभी संबंधित पक्षों से स्पष्टीकरण मांगेगी, जांच करेगी और निष्कर्षों के आधार पर सदन को विचार के लिए अपनी सिफारिश पेश करेगी।
विशेषाधिकार हनन के साथ-साथ कई अन्य मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी जेल जा चुकी हैं। यह बात उस वक्त की है जब आपातकाल खत्म होने के बाद तत्कालीन गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाए थे। चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा गांधी के खिलाफ आपातकाल के दौरान की गई ज्यादतियों को लेकर जस्टिस शाह आयोग की रिपोर्ट को अपना आधार बनाया।
चरण सिंह ने इंदिरा गांधी पर काम में बाधा डालने, अधिकारियों को धमकाने, शोषण करने और झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप लगाया था। इसके तहत वो दोषी भी पाई गईं। उनके खिलाफ केस चला। जिसका संबंध चुनावों में उनके द्वारा सरकारी जीपों के दुरुपयोग से था। इन सभी मामलों को लेकर इंदिरा गांधी को जेल भी जाना पड़ा था।