Mirwaiz Umar Farooq: हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को चार साल से अधिक समय बाद शुक्रवार को नजरबंदी से रिहा कर दिया गया। वो अपने घर पर चार साल से अधिक वक्त तक हिरासत में रहे। सफेद और सुनहरे वस्त्र पहने मीरवाइज अगस्त 2019 के बाद पहली बार श्रीनगर की जामिया मस्जिद लौटे। अपना भाषण शुरू करने के लिए मस्जिद के मंच पर चढ़ते समय हुर्रियत अध्यक्ष ने रोते हुए कहा कि वह इसके लिए कीमत चुकाने के बावजूद लोगों के मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान चाहते रहेंगे। रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों का जिक्र करते हुए मीरवाइज ने कहा कि वह पीएम से सहमत हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है।
उमर फारूक जब 212 सप्ताह के बाद जामिया मस्जिद नौहट्टा में नमाज पढ़ने के लिए लौटे तो सैकड़ों की भीड़ ने उनका स्वागत किया और “मरहबा, मीरवाइज” के नारे लगाए। मीरवाइज की नजरबंदी से रिहाई की खबर फैलते ही लोगों ने एकत्र होना शुरू कर दिया था और कई सुरक्षा अधिकारी नजर रख रहे थे।
मीरवाइज ने कहा, ‘हमें अलगाववादी, राष्ट्र-विरोधी और शांति भंग करने वाला कहा गया है। हालांकि, इससे हमें कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं होगा, मेरी यहां कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं थी। हम केवल जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम उनके मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं, वो भी उन लोगों शर्तों पर ही। उन्होंने कहा कि हमने हमेशा शांति की जरिए समाधान खोजने की कोशिश की, लेकिन इस रास्ते को अपनाने के बाद भी हमें व्यक्तिगत रूप से नुकसान उठाना पड़ा है।”
मीरवाइज ने पंडितों की कश्मीर वापसी का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम ताकतवार, कमजोर, बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं। हमने हमेशा कश्मीरी पंडितों की वापसी की वकालत की है। हमने इस मानवीय मुद्दे को कभी राजनीतिक नहीं बनाया। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के लिए, यह एक क्षेत्रीय मुद्दा हो सकता है, लेकिन हमारे लिए यह हमेशा एक मानवीय मुद्दा रहा है।
उमर फारूक ने कहा, ‘हमारा रुख यह है कि जम्मू-कश्मीर का एक हिस्सा भारत में है, दूसरा पाकिस्तान में और तीसरा चीन में है। इन सभी से मिलकर जम्मू-कश्मीर बनता है, जैसा अगस्त 1947 में था। लोग विभाजित हो गए हैं और यह वास्तविकता है कि इस मुद्दे को हल करने की आवश्यकता है, जिसका अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी समर्थन करता है।”
मीरवाइज ने मुद्दों पर “कड़े दृष्टिकोण” पर पुनर्विचार करने का भी आह्वान किया। उन्होंने, ‘इससे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। हमारे दर्जनों नेता – पुरुष और महिलाएं वर्षों से जेलों में बंद हैं, हजारों युवा पुरुष और लड़के, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील कारावास में पीड़ा सह रहे हैं। उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए। उनका स्वास्थ्य खराब है और उनका परिवार दुखी है’।
उन्होंने कहा कि उनके पिता की हत्या के बाद पिछले कुछ साल उनके लिए सबसे कठिन दौर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि 5 अगस्त, 2019 के बाद का समय आसान नहीं रहा है। अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त कर दिया गया, जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया गया और केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। मीरवाइज ने कहा, लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया और लोगों की इच्छाओं के विपरीत और एकतरफा फैसलों की एक श्रृंखला के माध्यम से, जम्मू-कश्मीर के लोगों को कमजोर और शक्तिहीन छोड़ दिया गया।
कश्मीर में राजनीतिक दलों ने उमर फारूक की नजरबंदी से रिहाई का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि उन्हें आजाद रहने दिया जाएगा।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘मीरवाइज को इतने लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए था। हममें से अधिकांश लोग जो नज़रबंदी से रिहा हुए उन्हें अदालतों के हस्तक्षेप की मांग करनी पड़ी। इस बार भी जब मीरवाइज साहब अपनी रिहाई के लिए उच्च न्यायालय गए तो सरकार को उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने उम्मीद जताई कि मीरवाइज को स्वतंत्र रूप से घूमने, बातचीत करने की अनुमति दी जाएगी। लोग अपनी सामाजिक/धार्मिक जिम्मेदारियों को फिर से शुरू कर सकें।’
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले घर में नजरबंद किए जाने के चार साल पूरे होने पर उमर फारूक ने सरकार को कानूनी नोटिस भेजकर अपनी रिहाई की मांग की थी और ऐसा न करने पर इसे अदालत में चुनौती देने की चेतावनी दी थी। हालांकि, 15 सितंबर को अदालत ने हिरासत की स्थिति पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा था।
इससे एक साल पहले जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दावा किया था कि मीरवाइज नजरबंद नहीं हैं और वह कहीं भी आने-जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
चार साल बाद अपनी रिहाई पर, मीरवाइज ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘घर से निकलना वास्तव में राहत और खुशी दे रहा है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक वरदान है।’
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘सरकार मीरवाइज को रिहा करके अपनी गलतियां सुधार रही हैं। उन्होंने कहा कि मीरवाइज साहब एक बहुत सम्मानित धार्मिक नेता हैं और उन्हें चार साल तक हिरासत में रखना मानवता और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।’
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने कहा कि मीरवाइज एक परंपरा के प्रतीक हैं, जो मुख्य रूप से धार्मिक हैं, लेकिन इसके मजबूत सामाजिक अर्थ भी हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशतकों में सभी सरकारों द्वारा इस परंपरा को नियमित रूप से बाधित किया गया है।