पंजाब नेशनल बैंक को तकरीबन 14 हजार 500 करोड़ रुपये का चूना लगाने वाले मेहुल चोकसी को ईडी की उस दरख्वास्त से गुरेज है जो उसे आर्थिक भगोड़ा अपराधी (FEO) घोषित करने की मांग कर रही थी। चोकसी ने बॉम्बे हाईकोर्ट से ईडी की रिट को खारिज करने की मांग की थी। लेकिन जस्टिस ने उसे करारा जवाब देकर कहा कि ईडी की याचिका FEO एक्ट के सेक्शन चार और रूल तीन के तहत दायर की गई है। उन्हें नहीं लगता कि ईडी का एक्शन गलत है। हाईकोर्ट ने मेहुल चोकसी की तरफ से दायर चारों याचिकाओं को तुरंत प्रभाव से खारिज कर दिया।
ईडी ने स्पेशल कोर्ट से दरख्वास्त की थी कि मेहुल चोकसी को भगोड़ा घोषित किया जाए। चोकसी ने इसके खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी।ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के केस में FEO एक्ट के सेक्शन 4 और 12 के तहत मेहुल को भगोड़ा करार देने की मांग की थी। 2018 का कानून कहता है कि अगर कोई 100 करोड़ या उससे ज्यादा की रकम के फ्राड केस में आरोपी है और उसके खिलाफ वारंट भी जारी हो चुका है तो उसे FEO माना जाएगा। मेहुल के वकीलों ने हाईकोर्ट में दलील दी कि ईडी की दरख्वास्त में कई ऐसे पेंच हैं जो कानूनन सही नहीं हैं।
मेहुल ने ईडी की रिट के खिलाफ 2019 में स्पेशल कोर्ट में भी गुहार लगाई थी। लेकिन वहां से भी उसे निराशा ही हाथ लगी थी। तभी वो हाईकोर्ट पहुंचा। हालांकि जनवरी 2020 में हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के अंतिम आदेश पर रोक लगा दी थी। अगस्त में ईडी ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि वो अपने आदेश पर फिर से विचार करे। एजेंसी का तर्क था कि हजारों करोड़ की रकम लेकर मेहुल चोकसी देश से भाग चुका है।
चोकसी के वकीलों ने हाईकोर्ट में दलील दी कि जब उनके मुवक्किल ने भारत छोड़ा तब कोई केस दर्ज नहीं हुआ था। वो देश में फिर से लौटना चाहता है लेकिन खराब सेहत इसकी इजाजत नहीं दे रही है। उनका कहना था कि जून 2021 में ईस्टर्न कैरेबियन सुप्रीम कोर्ट ने चोकसी को जमानत दी थी। उस दौरान कोर्ट में ईडी के अफसर मौजूद थे। लेकिन उन्होंने फैसले का विरोध तक नहीं किया। अगर उन्हें कोई आपत्ति थी तो वो कैरेबियन सुप्रीम कोर्ट में विरोध दर्ज करा सकते थे। लेकिन वो वहां पर चुप रहे। लिहाजा बॉम्बे हाईकोर्ट उसे भगोड़ा घोषित करने के फैसले को खारिज करे।