ईरान की संसद ने हिजाब को परमानेंट बनाने वाला कानून पास कर एक नए बवाल को दावत दे दी है। नए कानून में कारोबारियों पर भी बंदिशें लगाई गई हैं। सरकार का कहना है कि अगर किसी ने भी नए कानून का विरोध किया तो उसे दस साल तक के लिए जेल जाना पड़ सकता है।
माना जा रहा है कि नया कानून किसी नए विवाद को भी जन्म दे सकता है, क्योंकि साल भर पहले ही हिजाब के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे थे। सरकार ने कड़ी कार्रवाई की तब जाकर लोगों पर काबू पाया जा सका। इस कार्रवाई में 500 से अधिक लोग मारे गए। जबकि 22 हजार से अधिक को हिरासत में लिया गया। ईरान में ये विरोध तब शुरू हुआ जब पता चला कि हिजाब का विरोध करने वाली महसा अमीनी कस्टडी में दम तोड़ गई। महसा अमीनी को इस्लामिक नियमों का पालन नहीं करने के आरोप में मोरैलिटी पुलिस ने हिरासत में लिया था। उसकी मौत के बाद सारा देश सुलग उठा था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की संसद ने बहुमत से एक ऐसा विधेयक पारित किया है जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने से इनकार करने वाली महिलाओं और उनका साथ देने वालों पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। विधेयक में उन कारोबारियों के लिए भी दंड देने का प्रावधान है जो हिजाब ना पहनने वाली महिलाओं को सामान बेचते हैं। इस विधेयक के खिलाफ लामबंद होने वाले लोगों को भी दंडित किए जाने का प्रावधान है। दोषियों को इन अपराधों के लिए दस वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है। ईरान की 290 सदस्यीय संसद में 152 सांसद इसके पक्ष में थे।
विधेयक को अब अंतिम मंजूरी के लिए गार्डियन काउंसिल के पास भेजा जाएगा। यह मौलवियों की एक इकाई है जो संवैधानिक निगरानीकर्ता के तौर पर काम करती है। माना जा रहा है कि वहां से विधेयक आसानी से पास हो जाएगा, क्योंकि कट्टरपंथी हिजाब के सबसे ज्यादा समर्थन में हैं।