Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान आरजेडी सांसद मनोज झा ने SC-ST और OBC को महिला आरक्षण को लेकर जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा कि यह मसला यस या नो का नहीं है। यह मसला हमारे देश की तारीख से जुड़ा है। यह मसला इस बात से जुड़ा हुआ है कि जो प्रधानमंभी जी ने बीते दिनों सेंट्रल हॉल में कहा था कि कैनवास बड़ा होगा आकृति बड़ी होगी। बड़ा कैनवास तो है, लेकिन आकृति छोटी गढ़ी जा रही है और इसका इतिहास स्मरण करेगा।
महिला आरक्षण बिल- ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023’ पर बोलते हुए मनोज झा ने कहा कि मुझे तो समझ में नहीं आया की यह लेजिस्लेशन है या किसी धार्मिक ग्रंध का शीर्षक है, क्योंकि मैं इस देश में बचपन से पढ़ता आया, ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः पता नहीं देवता रम करते हैं कि नहीं लेकिन हमने इस श्लोक के बावजूद महिलाओं का शोषण देखा, घरेलू हिंसा देखी, सबसे ज्यादा रेप परिवार नाम की संस्था में देखा, जिसका आंकड़ा खुद सरकार देती है तो ऐसा में मुझे लगता है कि हमारे देश का जो विरोधाभासी चरित्र है, उस पर भी बात होनी चाहिए।’
मनोज झा ने कहा कि अधिकारों की बात कभी दया से नहीं होगी। हमारा संविधान अधिकारों की बात करता है। उन्होंने कहा कि डिलिमिटेनश आयोग 2008 के मुताबिक, हमारे पास जो लोकसभा की सीट हैं, 412 सामान्य सीट, 84 एससी, 47 एसटी। अब हम क्या कर रहे हैं इस बिल के माध्यम से कि 84 और 47 के अंदर एक तिहाई कर रहे हैं। क्या यह अन्याय नहीं है। हम 33 फीसदी के हिसाब से क्यों नहीं दे रहे हैं। अभी जो आंकड़ा 136 के आसपास बैठता है उसमें हम एससी-एसटी और ओबीसी को क्यों नहीं दे रहे हैं?
आरजेडी सांसद ने बिहार की भगवतिया देवी और उत्तर प्रदेश की भूलन देवी का भी जिक्र किया। मनोज झा ने कहा कि हर महिला को बहुत मुश्किल से आगे बढ़ना पड़ता है और खास करके पिछड़ा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जानजाति की महिलाओं को। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के अध्यक्ष लालू यादव ने एक पत्थर तोड़ने वाली गया की भगवतिया देवी को संसद तक पहुंचाया है, लेकिन, क्या उसके बाद भगवतिया देवी आ पाईं, क्या फूलन देवी आ पाईं। इसलिए नहीं आ पाईं कि हमारी व्यवस्थाएं संवेदन शून्य हैं।
एससी-एसटी और ओबीसी को महिला आरक्षण के दायरे में लाने को लेकर आरजेडी सांसद ने कहा कि आज भी मौका है कि आप इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजकर इसमें एससी-एसटी और ओबीसी को शामिल किया जाए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर आज आप नहीं करेंगे तो आप ऐतिहासिक गुनहगार होंगे। लोग बाहर देख रहे हैं। अब ये नहीं होगा की बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को माला भी पहनाएं और उनकी बातों को आत्मसात न करें। उन्होंने कहा कि कोटा में कोटा की जब हम बात करते हैं तो उसमें एक टर्म आता है इंटरसेक्शनलिटी। इसका अर्थ होता है प्रतिछेदन। यानी की लेयर के हिसाब परखना।
मनोज झा ने कहा, ‘अगर चश्मा सरकार लगाती है तो उसका पावर बदलिए। जब आज यहां से उठिए तो ओबीसी वर्ग को एक कमिटमेंट दीजिए। नई व्यवस्था में पुराने वाले को बिना छूए आरक्षण देने से क्रांति आएगा। हमारा सरनेम एक प्रिविलेज है, लेकिन उस सरनेम को देखिए, जिनका प्रिविलेज नहीं है।’