महिला आरक्षण बिल से बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती खुश नहीं हैं। उमा भारती ने मंगलवार को कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की महिलाओं के लिए कोटा नहीं रखा गया है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया गया है।
उमा भारती ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, “मुझे खुशी है कि महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन मुझे कुछ हद तक निराशा महसूस हो रही है क्योंकि यह ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण के बिना आया है। अगर हम ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित नहीं करते हैं, तो भाजपा में उनका विश्वास टूट जाएगा।
उमा भारती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर याद दिलाया कि पिछले दिनों जब इसी तरह का विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था तो वह इसका विरोध करने के लिए अपनी सीट पर खड़ी हो गई थीं और बाद में उस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था। उमा भारती ने कहा कि जब ओबीसी के लिए कुछ करने का समय आया तो हम पीछे हट गए। मुझे विश्वास था कि प्रधानमंत्री इसका ध्यान रखेंगे। मैंने सुबह पीएम को पत्र लिखा और बिल पेश होने तक चुप्पी साधे रखी।
उमा भारती ने कहा, ”मुझे यह देखकर बहुत निराशा हुई कि विधेयक में कोई ओबीसी आरक्षण नहीं है। मुझे निराशा हुई क्योंकि पिछड़े वर्ग की महिलाओं को जो मौका मिलना चाहिए था वह उन्हें नहीं दिया गया। पिछड़े वर्ग की मुस्लिम महिलाओं को भी आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।”
सनातन धर्म के बारे में DMK नेताओं द्वारा दिए गए विवादास्पद बयानों पर उमा भारती ने कहा, “वे उस विचारधारा के हैं, जिसने तमिलनाडु में (दशकों पहले) जटा काट दो और तिलक मिटा दो (ब्राह्मणवाद के प्रतीक के रूप में) आंदोलन शुरू कर दिया था। लेकिन आंदोलन लोगों को शिखा पहनने या तिलक या ‘जनेऊ’ (पवित्र धागा) पहनने से नहीं रोक सका। न ही इसने किसी को मंदिर जाने से रोका।”