राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने बुधवार को मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोगों को गुमराह करने के लिए शिगूफे छोड़ना BJP की पुरानी आदत है। सचिन पायलट ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पर सभी दलों की आम सहमति थी, लेकिन केंद्र ने इस मुद्दे पर लुकाछिपी का खेल खेला और रहस्य बनाए रखा।
टोंक जिले में मीडिया से बातचीत के दौरान सचिन पायलट ने कहा, “इस तरह के शिगूफे छोड़े जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान बंट जाए। विशेष सत्र बुलाया तो पहले बताना चाहिए था कि क्यों बुला रहे हैं, सर्वदलीय बैठक होती।”
सचिन पायलट ने कहा, “महिला आरक्षण विधेयक पर सभी दलों की आमराय है तो यह लुकाछिपी का खेल क्यों खेला गया? छुप—छुप कर रात में घोषणा करना व रहस्य बनाकर रखना, विशेष सत्र बुलाना… इस तरह के शिगूफे छोड़ देना भाजपा की पुरानी आदत है।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “हम तो मुद्दे की बात करते हैं…विकास की, नौजवान की, महंगाई की… उन मुद्दों की चर्चा तो BJP नहीं कर सकती…क्योंकि केंद्र सरकार का रिपोर्ट कार्ड खाली है और राजस्थान में भी BJP मुद्दाहीन है, सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए लोगों के बीच जा रहे हैं।”
उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक में संशोधन की जरूरत पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर केंद्र की मंशा साफ होती तो वह संप्रग सरकार द्वारा लाए गए विधेयक को राज्यसभा में पारित कराती। उन्होंने कहा, “इसमें संशोधन की आवश्यकता क्या थी, जो विधेयक हमने पहले राज्यसभा में पारित करवाया था उसे पारित करते। अब यह छह-सात साल आगे होगा, पहले जनगणना होगी, परिसीमन होगा फिर आरक्षण लागू होगा.. तो इतना पहले यह करना?.. सिर्फ वाहवाही लूटनी थी।”
सचिन पायलट ने कहा, “अगर सच में मंशा साफ होती…वह चाहते कि लागू करें तो वे अभी कर सकते थे। इसमें अड़चन क्या थी .. लेकिन ये सब करते कुछ हैं और इनका मन कुछ और होता है।” पायलट ने कहा कि BJP राजस्थान में प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल रही है क्योंकि उसने सरकार पर केवल आरोप लगाए लेकिन जनता से जुड़ने के लिए काम नहीं किया।
आगामी चुनावों से पहले BJP के केंद्रीय नेताओं के राजस्थान में दौरे करने के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए सचिन पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री और अन्य नेता 2018 के विधानसभा चुनाव में आए थे। उन्होंने कहा, “उनको बार बार आना पड़ रहा है क्योंकि यहां के जो क्षेत्रीय नेता हैं उन पर केंद्रीय नेताओं का भरोसा नहीं है और शायद उनके कहने से लोग जुड़ भी नहीं रहे हैं।” (इनपुट- भाषा)