ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ जस्टिस गंगोपाध्याय ताबड़तोड़ ऐसे फैसले ले रहे हैं जो पश्चिम बंगाल की सीएम को रास नहीं आने वाले। कैश फार जॉब्स मामले में सीबीईआई की जांच की स्पीड से कलकत्ता हाईकोर्ट इत्तेफाक नहीं रखता। जस्टिस गंगोपाध्याय ने फिलहाल सरकार को एक झटका देते हुए सीबीआई डायरेक्टर को आदेश दिया है कि वो कोर्ट की अगली सुनवाई के दौरान अदालत में आनलाइन मौजूद रहेंगे। ध्यान रहे कि इसी शिक्षक भरती मामले में जस्टिस गंगोपाध्याय सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से भी टकराने की कोशिश कर चुके हैं।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद को चार अक्टूबर को अदालत की कार्यवाही के दौरान ऑनलाइन तौर पर उपस्थित रहने का निर्देश दिया। शिक्षक भर्ती घोटाले में केंद्रीय एजेंसी की जांच की स्पीड से जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय खासे नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि सीबीआई की अदालत को सौंपी गई केस डायरी को देखने से ऐसा लगता है कि उसका स्कैम की जांच करने का इरादा गंभीर नहीं है। एजेंसी इसे लेकर एक कैजुअल अप्रोच दिखा रही है। जस्टिस ने ये भी कहा कि घोटाले में शामिल कुछ लोगों को गिरफ्तार करने के अलावा सीबीआई ने कुछ नहीं किया।
जस्टिस गंगोपाध्याय उस वक्त अचानक सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने एक टीवी चैनल पर अभिषेक बनर्जी के खिलाफ तल्ख बयान दे दिया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के बारे में भी कई बातें कही थीं। अभिषेक इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ इस बात पर हैरत में थे कि जस्टिस टीवी पर इंटरव्यू कैसे दे सकता है। उन्होंने इंटरव्यू की कॉपी मंगवाई और फिर अभिषेक के मामले की सुनवाई से उनको अलग कर दिया। जस्टिस गंगोपाध्याय इस फैसले से नाराज दिखे। उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश जारी कर दिया। हालात इतने तल्ख हुए कि सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने रात में बैठकर गंगोपाध्याय को कानून समझाया।
2022 में शिक्षक भर्ती घोटाले में जस्टिस गंगोपाध्याय ने ही सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इस मामले में ममता के तत्कालीन मंत्री पार्था चटर्जी अरेस्ट हुए थे। चटर्जी के घर से भारी भरकम कैश बरामद हुआ था। चटर्जी की गिरफ्तारी के ठीक बाद पश्चिम बंगाल के एजुकेशन डिपार्टमेंट के कई अफसरों की गिरफ्तारी हुई। गंगोपाध्याय अपने एक फैसले में इसी साल शिक्षकों को हटाकर नई भरती का आदेश भी दे चुके हैं।
हालांकि उस आदेश को बाद में डबल बेंच ने वापस ले लिया गया। लेकिन जस्टिस गंगोपाध्याय पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। शिक्षक भरती घोटाला ममता सरकार के लिए बड़ी उलझन है क्योंकि इसमें सरकार के हाईप्रोफाइल लोग हिरासत में हैं। ऐसे ही चलता रहा तो जांच उन तक भी पहुंच सकती है।