महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए आज ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ लोकसभा में पेश किया गया है। नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है। लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा बुधवार को शुरू हुई। विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी चर्चा की शुरुआत की।
मंगलवार को बिल पेश करते हुए कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोक सभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी। विधयेक पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएगी। विधयेक में बहरहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। महिलाओं की आरक्षित सीट में भी अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण होगा।
जेडीयू सांसद राजीव रजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि हम बिल का सर्थन करते हैं। लेकिन यह I.N.D.I.A के गठन के जवाब में पैनिक होकर उठाया गया कदम है। सिंह ने कहा कि बिहार से सीखए, हमने सरकार बनाने के बाद बिहार में महिलाओं को आरक्षण दिया। हकीकत ये है कि आपको महिला सशक्तिकरण से कोई मतलब नहीं है। जेडीयू नेता ललन सिंह ने लोकसभा में बीजेपी को जमकर सुना दिया था। कहा कि कहीं महिला आरक्षण 2024 का चुनावी जुमला बनकर न रह जाए। इसमें अति पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को भी अलग से आरक्षण मिलना चाहिए।
ललन सिंह ने कहा कि यह 2024 का चुनावी जुमला है। ये बीजेपी महिलाओं को छलने का काम करना चाहते हैं। 2014 में बरोजगारों को छला, 2 करोड़ रोजगार का वादा करके कालाधन लाएंगे। 15 लाख पहुंचाएंगे, कहकर गरीबों को छला अगर इनकी मंशा सही होती तो 2021 में इन्होंने जनगणना जाति आधारित करवा दी होती। यह देश की मांग है। आपका गरीबों को अति पिछड़ों को पिछड़ों से न्याय करने में विश्वास नहीं है। इसलिए जातीीय जनगणना नहीं करवाई। अगर 2021 में जाति जनगणना शुरू करवाई होती तो अब तक खत्म हो गई होती। महिला आरक्षण भी लागू हो गया होता।
ललन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि महिलाएं और जनता जान गई है कि आप जुमलेबाज हैं। उन्हें आपके किसी जुमले पर भरोसा नहीं है। बिहार पहला राज्य है, जहां 2005 में सरकार बनी तब 2006 में महिलाओं को आरक्षण दिया। 2015 में जब महागठबंधन की सरकार बनी, तब 2016 में राज्य सरकार की सभी सेवाओं में 33 फीसद आरक्षण महिलाओं को दिया गया। एक वर्ष के अंदर यह कार्य किया गया।
उन्होंने कहा आंकड़े आपके पास 2019 से था तब क्यों नहीं महिला आरक्षण बिल लेकर आए। विपक्षी दलों की बैठक के बाद घवराहट में मोदी सरकार ने यह फैसला लिया है।जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने आरएसएस को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा संघ प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि आरक्षण पर पुनर्विचार होना चाहिए। हम उन्हें बता दें कि आरक्षण आपकी कृपा से नहीं है , संविधान के अनुसार है। अगर आप महिला बिल लाए हैं तो उसमें पिछड़ों और अति पिछड़ों को इसमें आरक्षण दिया जाना चाहिए।
ललन सिंह ने आगे कहा जातीीय गणना कराने का जब बिहार सरकार ने फैसला किया तो केंद्र सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में खड़ी हो गई। हकीकत ये इनका चेहर है। आज नारी शक्ति वंदन की बात करते हैं। आप अपना वंदन कर रहे हैं।