2005 में राम जन्मभूमि आतंकी हमले के मामले से जुड़े चार दोषियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। जस्टिस अश्वनी मिश्रा और जस्टिस सैयद आफताब हुसैन रिजवी की बेंच ने सजा के खिलाफ इस अदालत में लंबित अपील पर यह जमानत मंजूर की। स्पेशल कोर्ट ने शकील अहमद, मोहम्मद नसीम, आसिफ इकबाल उर्फ फारुक और डाक्टर इरफान को दोषी ठहराया था। चारों के खिलाफ तत्कालीन फैजाबाद जिले के राम जन्मभूमि पुलिस थाने में केस दर्ज किया गया था। विशेष अदालत ने चारों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
अदालत ने कहा कि मामले के पहलुओं पर टिप्पणी किए बगैर इन सभी आरोपियों को सख्त शर्तों के साथ जमानत देना उचित होगा। ये सभी आरोपी सप्ताह में एक बार अपने निवास स्थान पर स्थित पुलिस थाना को रिपोर्ट करेंगे। अदालत ने कहा कि इनके पास पासपोर्ट हैं तो वे इन्हें संबंधित अदालत में जमा करेंगे। इन पर लगाए गए जुर्माने रिहाई के छह सप्ताह के भीतर जमा किए जाएंगे।
पांच जुलाई 2005 को सुबह करीब सवा नौ बजे यूपी 42-टी0618 नंबर की एक मार्शल जीप अयोध्या में जैन मंदिर के पास आई। उसके बाद उस जीप में धमाका हुआ। इसके बाद एके 47 राइफल, कारतूस और राकेट लांचर जैसे हथियारों से लैस पांच आतंकियों ने राम जन्मभूमि स्थल परिसर पर हमला किया। सुरक्षा बलों के जवाबी हमले में पांचों आतंकी मारे गए। इस घटना में रमेश कुमार पांडेय नाम के एक व्यक्ति की भी जान चली गई थी।
हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पर आतंकी हमला था। इसमें पांच आतंकियों को मार गिराया गया। घटना में एक निर्दोष व्यक्ति की भी जान चली गई। यह एक गंभीर घटना है। इसे सभ्य समाज पर हमले के तौर पर माना जाना चाहिए। लेकिन सभी चार दोषियों का कहना था कि उनको इस मामले में फंसाया गया है। चारों दोषियों से हमले को जोड़ने के लिए प्रासीक्यूशन ने नोकिया के एक हैंडसेट का जिक्र किया था। ये मोबाइल मारे गए आतंकी के पास से मिला था। चारों दोषियों का जिक्र मोबाइल के कॉल रिकार्ड में था। तभी उनको अरेस्ट किया गया था।