अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मदद हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने यूक्रेन के इस्तेमाल के लिए अमेरिका को गोपनीय तरीके से हथियार बेचे। एक रिपोर्ट में पाकिस्तान और अमेरिकी सरकार के आंतरिक दस्तावेजों के आधार पर यह दावा किया गया है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी एनजीओ की रिपोर्ट को बेकार की बताकर खारिज कर दिया। उसका कहना है कि उसने अमेरिका को हथियार उपलब्ध कराए थे, जिससे आईएमएफ के साथ तीन अरब अमेरिकी डॉलर का सौदा करने में सहूलियत मिल सके। आईएमएफ ने नकदी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को जुलाई में 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर दिए थे।
अमेरिकी वेबसाइट इंटरसेप्ट ने बताया कि ये हथियार यूक्रेन की सेना को आपूर्ति करने के मकसद से बेचे गए थे। खास बात है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से पाकिस्तान, अमेरिका और रूस के साथ संबंधों में संतुलन बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। माना जा रहा है कि पूर्व पीएम इमरान खान को सत्ता से बेदखल इसी वजह से होना पड़ा, क्योंकि उन्होंने युद्ध से ऐन पहले रूस की यात्रा की थी।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक हमने रूस और यूक्रेन के विवाद में तटस्थता की नीति बनाए रखी है। डॉन अखबार के अनुसार जुलाई में पाकिस्तान की यात्रा के दौरान यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने भी ऐसी ही खबरों को खारिज किया था कि इस्लामाबाद यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने भी कहा था कि युद्ध शुरू होने के बाद से पाकिस्तान ने सैन्य आपूर्ति के लिए यूक्रेन के साथ किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
खास बात है कि पहले भी एक रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि पाकिस्तान ने यूक्रेन को हथियार भेजने के लिए वारसॉ में एक रक्षा व्यापार कंपनी स्थापित की थी। यूक्रेन के एक कमांडर ने अप्रैल में बीबीसी से साक्षात्कार में पाकिस्तान समेत दूसरे देशों से रॉकेट मिलने की बात कही थी। लेकिन उस दौरान भी पाकिस्तानी अधिकारियों ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया था।