दिल्ली दंगों के आरोपियों की उस दरख्वास्त का दिल्ली पुलिस ने पुरजोर विरोध किया है जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ चल रहे मामलों में जांच की स्थिति बताने को कहा था। दिल्ली की कड़कड़डूमा स्थिति कोर्ट के एडिशनल सेशन जज (एडीजे) से स्पेशल पब्लिक प्रासीक्यूटर (एसपीपी) ने कहा कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत आरोपियों को इस तरह की जानकारी दी जा सके। उनका कहना था कि चार्ज पर बहस से पहले ऐसी जानकारी किसी भी सूरत में नहीं दी जा सकती। एसपीपी अमित प्रसाद ने ये बात एडीजे अमिताभ रावत की कोर्ट में ये बात कही।
एडीजे अमिताभ रावत ने आरोपियों देवांगना कलिता, नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा, मीरान हैदर और अतहर खान द्वारा दायर इन अर्जियों की सुनवाई की। अमित प्रसाद ने कहा कि प्रत्येक अर्जी कानून में किसी भी ऐसे प्रावधान का उल्लेख करने में विफल रही, जिसके तहत उन्हें स्वीकार किया जा सके। प्रसाद ने कहा कि ये अर्जियां बेकार की हैं, क्योंकि ये सीआरपीसी के दायरे से बाहर हैं।
उन्होंने कहा कि अर्जियां और कुछ नहीं, बल्कि सुनवाई को पटरी से उतारने की कोशिश हैं। इससे पहले देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा ने जांच एजेंसी को यूएपीए के तहत दर्ज मामले में आरोप तय करने या नहीं करने को लेकर बहस शुरू होने से पहले अपनी जांच की स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिए जाने का 14 सितंबर को अनुरोध किया था। एडीजे ने मामले में आगे की कार्रवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय किया।
इन आरोपियों के खिलाफ यूएपीए और आइपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे। ये दंगे एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान भड़के थे। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने इन आरोपियों के साथ बहुत से लोगों को अरेस्ट किया था। सभी के खिलाफ कोर्ट में केस विचाराधीन है।