आज नए संसद भवन में पहला सत्र पूरा हो चुका है और कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित हुई है। इन ऐतिहासिक पलों में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण विधेयक पेश कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को इस बिल को मंजूरी दी थी। इसमें संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% कोटा प्रदान करने का प्रावधान है। इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों के मुताबिक यह कानून 2024 के लोकसभा चुनावों में लागू नहीं किया जा सकता है। क्योंकि इसे परिसीमन प्रोसेस पूरा होने के बाद ही लागू किया जाएगा और 2029 के आम चुनाव में ऐसा हो सकता है। फिलहाल लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 82 निर्वाचित महिला सांसद हैं जोकि कुल सांसदों की संख्या का 14.36% है।
हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि दुनिया के 10 लोकतांत्रिक देशों संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व कितना है। यह डेटा अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) से लिया गया है।
महिला आरक्षण बिल की मांग पिछले 27 साल से हो रही है। इस बिल के लागू होने के बाद संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इस बिल के मुताबिक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें एससी-एसटी समुदाय से आने वाली महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
इन आरक्षित सीटों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अलग-अलग क्षेत्रों में रोटेशन प्रणाली से आवंटित किया जा सकता है। महिला आरक्षण बिल के अनुसार, महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण 15 साल के लिए ही होगा।
इस बिल में प्रस्ताव है कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के ज़रिए आवंटित की जा सकती हैं।