दिल्ली की एक अदालत का मानहानि मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बरी करने से इनकार कर दिया है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की तरफ से दर्ज कराई गई मानहानि शिकायत में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फंसते दिख रहे हैं। कोर्ट ने उनको बरी करने से इनकार करते हुए कहा कि उनकी याचिका सुनवाई के लायक भी नहीं थी।
कांग्रेस नेता के वकील ने इस आधार पर उन्हें बरी करने की मांग करते हुए एक अर्जी दायर की थी कि शिकायतकर्ता बिना किसी उचित कारण के सात और 21 अगस्त को अदालत के सामने पेश होने में विफल रहा। एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने गहलोत की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि जिस दिन शिकायतकर्ता की अनुपस्थिति का हवाला दिया जा रहा है उस दिन केवल दस्तावेजों की आपूर्ति और जांच के लिए मामले को लिस्ट किया गया था। उन्होंने कहा, उन दिनों शिकायतकर्ता की उपस्थिति गैर-जरूरी थी। खासकर यह देखते हुए कि शिकायतकर्ता के वकील अदालत में मौजूद थे।
अदालत ने कहा कि यह अदालत आरोपी के वकील की दलीलों में कोई मैरिट नहीं पाती है, इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है। संजीवनी घोटाले से शेखावत को जोड़ने वाली कांग्रेस नेता की टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री की शिकायत के बाद अदालत ने सात अगस्त को गहलोत को तलब किया था। संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी पर आरोप है कि उसने बेहतरीन रिटर्न का वायदे कर हजारों निवेशकों से 900 करोड़ रुपये की ठगी की है।
गहलोत के लिए मुश्किल ये है कि वो राजस्थान में चुनावी लड़ाई में फंसे हैं। वहां असेंबली का इलेक्शन होना है। वो नहीं चाह रहे कि इस समय उनको लीगल पंगे में फंसना पड़े। बेवजह कोर्ट की तारीखों में फंसकर उनका वक्त जाया होगा। तभी वो दिल्ली की कोर्ट के पास दरख्वास्त लेकर गए थे।