आज पुरानी संसद का आखिरी दिन है। आजादी के बाद से देश की राजनीति में अहम किरदार निभाने वाली यह इमारत अब उन आवाजों से नहीं गूजेंगी जिनके शोर से देश की सियासत का रुख तय होता था। सेंट्रल हॉल में तमाम सांसद जुटे हैं और पक्ष-विपक्ष के नेताओं के भाषणों के बाद राष्ट्रगान के साथ इस कार्यक्रम का समापन होगा और इसके बाद सभी सांसद नए भवन की ओर जाएंगे।
समापन समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और सदन के नेता विपक्ष के मलिकार्जुन खड़गे ने और मेनका गांधी ने भाषण दिए हैं।
इस अहम अवसर पर इन नेताओं ने क्या कुछ कहा और क्या रही अहम बातें, जानते हैं।
सेंट्रल हॉल में सभा को संबोधित करते हुए राज्यसभा के नेता ने कहा, “इसी सेंट्रल हॉल में संविधान सभा ने 1946 से 1949 तक दो साल, 11 महीने और 17 दिनों तक अपनी बैठकें आयोजित कीं, आज हम विनम्रतापूर्वक उनके योगदान को याद करते हैं। हम डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभाई पटेल, डॉ. डाबासाहेब अम्बेडकर को याद करते हैं।”
#WATCH | Special Session of Parliament: Leader of LoP in Rajya Sabha Mallikarjun Kharge says “We have all gathered here today the commemorate the rich legacy of the Parliament of India in this historic Central Hall. It is in this very Central Hall that the Constituent Assembly… pic.twitter.com/qURMbGuQHo
सेंट्रल हॉल में सभा को संबोधित करते हुए लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उन्हें सदन का सदस्य होने पर गर्व है। उन्होंने कहा, “औपनिवेशिक अतीत से लेकर स्वतंत्र भारत तक, हमने भारत नामक इस महान देश का परिवर्तन देखा है।” अपने संबोधन में चौधरी ने भारतीय संविधान की नींव रखने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को याद किया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आज हम नई आकांक्षाओं के साथ नए संसद भवन की ओर बढ़ रहे हैं, आज लोगों को हमसे बहुत उम्मीदें हैं और उन उम्मीदों और आकांक्षाओं पर खरा उतरने की हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है।