महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा है कि वह शिवसेना विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी नहीं करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मसले पर कोई जल्दबाजी भी नहीं दिखाएंगे, क्योंकि ऐसा करने से अन्याय भी हो सकता है।
यह मसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए शिवसेना विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं का है। इस पर फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर स्पीकर से समयसीमा बताने को कहा है। नार्वेकर ने कहा कि उन्हें शीर्ष न्यायालय की टिप्पणी के बारे में जानकारी नहीं है। मुझे इस मामले में देरी करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और न ही मैं जल्दबाजी करने जा रहा हूं, क्योंकि इसका नतीजा घोर अन्याय के रूप में सामने आ सकता है।
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी कि उचित समय के भीतर याचिकाओं पर निर्णय लेने के निर्देश के बावजूद स्पष्ट रूप से अब तक कुछ भी नहीं किया गया है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नियमों और संवैधानिक प्रावधानों का पालन करने के बाद जल्द से जल्द निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति नहीं मिली है। अदालत में क्या हुआ, इसकी भी जानकारी मुझे नहीं है। मैं अदालत के आदेश का अध्ययन करने के बाद ही कोई टिप्पणी कर पाऊंगा।
नार्वेकर ने अपने समक्ष दायर अयोग्यता याचिकाओं की संख्या का खुलासा करने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि मैं यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी क्षमता के मुताबिक सब कुछ कर रहा हूं कि जल्द से जल्द फैसला सुनाया जाए। मेरे समक्ष कई याचिकाएं लंबित हैं।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष को अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने के लिए एक सप्ताह के भीतर समयसीमा बताने का निर्देश देते हुए कहा था कि यह अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता। हमें समयसीमा के बारे में बताएं।