2023 की पहली छमाही में चीन में विदेशी निवेश में सालाना आधार पर 2.7 फीसदी की गिरावट आई है। दरअसल, चीन में काम करने वाली अमेरिकी कंपनियां तकनीक, कारोबार व अन्य मुद्दों पर अमेरिका के साथ चीन के तनाव को अपने कारोबार के लिए एक बड़ी बाधा के रूप में देखती हैं। शंघाई में अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार चीन की साख में लगातार गिरावट आ रही है।
अमेरिकी कंपनियां चीनी सरकार से नियमों को स्पष्ट करने का आग्रह कर रही हैं। उनका कहना है कि नियमों में बदलाव के कारण ग्रे एरिया कंपनियों में इस बात को लेकर अनिश्चितता पैदा होती है कि किस चीज की अनुमति है और क्या गैरकानूनी हो सकता है। उनका कहना है कि जिनपिंग सरकार को नियमों के मामले में और ज्यादा लचीला होने की जरूरत है। कम से कम नियमों के बारे में कंपनियों को स्पष्ट तौर पर बताया तो जाए।
हालांकि, सर्वेक्षण में शामिल 325 कंपनियों में से दो-तिहाई ने कहा कि उनकी चीन को लेकर रणनीति को बदलने की तत्काल कोई योजना नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल पांच में से एक से अधिक कंपनियों ने कहा कि वो इस साल चीन में अपना निवेश कम कर रही हैं, जिसकी मुख्य वजह अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में अनिश्चितता और चीन में धीमी विकास दर का अनुमान है। सर्वेक्षण से पता चला कि पिछले साल की तुलना में ये धारणा और अधिक खराब हुई है। उस दौरान चीन की कोविड-19 वैश्विक महामारी को लेकर चीन की कड़ी नीतियों का असर इन कंपनियों पर पड़ा था।
सर्वेक्षण में शामिल 52 फीसदी लोगों ने कहा कि वो चीन में अपने पांच साल के व्यापार दृष्टिकोण को लेकर आशावादी हैं। शंघाई में अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा 1999 में वार्षिक सर्वेक्षण शुरू करने के बाद से यह आंकड़ा अभी तक के सबसे निचले स्तर पर है। करीब 10 में से नौ कंपनियों ने बढ़ती लागत को भी एक बड़ी चुनौती बताया। कंपनियों ने राजनीतिक तनाव को एक बड़ी चिंता बताया। उन्होंने कहा कि इसके बाद आर्थिक मंदी आई, जिसने वैश्विक महामारी के बाद एक मजबूत उछाल की उम्मीदों को विफल कर दिया।