संसद का विशेष सत्र शुरू हो चुका है। इस दौरान सबसे ज़्यादा चर्चा सरकार के एजेंडे को लेकर है कि इस सत्र में ऐसा क्या बड़ा होने वाला है। सूत्रों के हवाले से खबर सामने आ रही है कि सरकार बुधवार को महिला आरक्षण बिल ला सकती है। विपक्षी गठबंधन इंडिया ने भी इस बिल को लाए जाने का समर्थन किया है। गौरतलब है कि इस सत्र को बुलाए जाने को लेकर सरकार की मंशा पर विपक्ष ने कई सवाल किए थे। पीएम मोदी ने संसद में भाषण देते हुए कहा कि यह सत्र कई मानों में ऐतिहासिक होने जा रहा है।
पांच दिवसीय संसद सत्र की पूर्व संध्या पर सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कई राजनीतिक दलों ने सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की जोरदार वकालत की थी। मोदी सरकार ने कहा कि उचित समय पर उचित निर्णय लिया जाएगा। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सांसदों ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास महिला आरक्षण विधेयक की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। ऑल पार्टी मीटिंग में कई दलों के नेताओं ने कहा कि लगभग 27 वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को आम सहमति से पेश किया जाना चाहिए और पारित किया जाना चाहिए।
इस बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15% से कम है, जबकि कई राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10% से कम है। विधेयक पर पार्टियों की मांग पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि उचित समय पर उचित निर्णय लिया जाएगा। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सभी विपक्षी दल इस संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की मांग करते हैं। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी कहा कि हम सरकार से इस संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की अपील करते हैं।
सूत्रों के हवाले से पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ क्षेत्रीय दलों ने महिलाओं के लिए समग्र आरक्षण के भीतर पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जातियों के लिए कोटा की मांग की है। बीजेडी नेता पिनाकी मिश्रा ने कहा कि नए संसद भवन से एक नए युग की शुरुआत होनी चाहिए और महिला आरक्षण विधेयक पारित होना चाहिए।