कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार के बीच का 36 का आंकड़ा जगजाहिर है। जस्टिस पहले भी ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ सख्त कदम उठा चुके हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के बीच में आ जाने से अभिषेक बनर्जी को राहत मिल गई। लेकिन दोनों के बीच का आंकड़ा दुरुस्त नहीं हुआ। उसके बाद भी जस्टिस ने शिक्षक भरती घोटाले की सुनवाई करते हुए तमाम नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। उस मामले में भी हाईकोर्ट की बड़ी बेंच से सरकार को राहत मिली थी। अलबत्ता दोनों के बीच का आंकड़ा दुरुस्त नहीं हो सका।
ताजा मामला में जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने फिर से ममता बनर्जी की सरकार को शर्मसार करने के लिए एक तीखा फैसला लिया है। जस्टिस ने पश्चिम बंगाल पुलिस के CID (क्रिमिनल इन्वेस्टिगेटिंग डिपार्टमेंट) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना थोप दिया है। वो इस बात से खफा थे कि उनके आदेश के बाद भी CID ने एक घोटाले की जांच सीबीआई और ईडी के हवाले नहीं की। जस्टिस का सवाल था कि CID क्या छिपा रही है।
दरअसल ये मामला अलीपुरद्वार महिला समाबे रिंदन सेजुड़ा है। सोसायटी के पास 21163 मेंबर्स रजिस्टर्ड हैं। इन सभी लोगों ने सोसायटी के पास पैसे का निवेश किया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये रकम 50 करोड़ से कम नहीं है। सोसायटी ने ये पैसा लोन के तौर पर कुछ लोगों को बांट दिया। इस मामले की जांच CID के हवाले की गई थी। लेकिन CID तीन सालों की जांच के बाद ये पता नहीं कर सकी कि पैसा किन लोगों को दिया गया। दूसरी तरफ जिन लोगों ने सोसायटी से पैसा लिया उसे कभी वापस ही नहीं लौटाया। जिनका पैसा था वो दर दर की ठोकर खा रहे हैं।
हाईकोर्ट ने 24 अगस्त को आदेश दिया था कि ये मामला सीबीआई और ईडी के हवाले किया जाए। अलबत्ता CID ने ये केस अभी तक केंद्रीय एजेंसियों के हवाले नहीं किया। जस्टिस गंगोपाध्याय का सवाल थी कि ममता बनर्जी की पुलिस आखिर छिपा क्या रही है। उसकेस ये केस अभी तक केंद्रीय एजेंसियों के हवाले क्यों नहीं किया। उनका कहना था कि CID के एक अधिकारी ने खुद माना है कि केस अभी तक ट्रांसफर नहीं किया जा सका है।
हालांकि CID ने जस्टिस गंगोपाध्याय की कोर्ट में अर्जी दी कि पांच लाख जुर्माने का आदेश वापस लिया जाए। अदालत का सवाल था कि CID ऐसी अर्जी दाखिल करने वाली होती कौन है। 22 सितंबर तक पुलिस को पांच लाख रुपये की रकम हाईकोर्ट की लीगल एड में जमा कराने को कहा गया है। इसके साथ ही जस्टिस ने ये आदेश भी दिया कि सीबीआई और ईडी को 18 सितंबर तक CID केस से जुड़ा दस्तावेज सौंप दे।