संसद का विशेष सत्र शुरू हो चुका है। आज के दिन को छोड़कर संसद की अगली कार्यवाही अब नए भवन में होगी। यह एक ऐतिहासिक सत्र भी होने जा रहा है। पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा कि पुराने भवन को छोड़ना भावुक पल है लेकिन नए भवन से विकसित भारत की नई तस्वीर सामने आने वाली है इस बात की उत्सुकता भी है।
नए संसद भवन को लेकर अलग-अलग तरह की बातें कही जा रही हैं, इसके बनने की शुरुआत कब हुई और पुराने भवन को क्यों छोड़ा गया? इन सवालों के कई जवाब हैं, क्या है अहम बातें, समझते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद की इमारत का उद्घाटन 28 मई को किया था। यह सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है। वास्तुकार बिमल पटेल द्वारा डिजाइन की गई नई इमारत का निर्माण 2019 में शुरू हुआ था। क्यों नए संसद भवन की जरूरत महसूस हुई इसका जवाब पीएम मोदी ने भी दिया था और कहा था कि संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना मुश्किल हो रहा था,भवन में तकनीकी समस्या, बैठने से जुड़ी चुनौतियां थीं, इसलिए नए संसद भवन की जरूरत महसूस हुई। पीएम मोदी ने सांसदों की संख्या बढ़ने का भी जिक्र किया था और कहा था कि आने वाले वक्त में सांसदों की संख्या बढ़ेगी तो उनके बैठने में काफी दिक्कत सामने आएगी।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की आधिकारिक वेबसाइट बताती है कि मौजूदा संसद भवन, जिसे 1927 में चालू किया गया था, लगभग एक सदी पुरानी हेरिटेज ग्रेड- I इमारत है। यहां क्षमता से ज़्यादा काम लिया जा रहा है और यह बहुत जरूरी माना जा रहा था कि इससे जुड़ी समस्याओं का समाधान निकाला जाए।
सांसदों के लिए बैठने की जगह की दिक्कत। 2026 के बाद लोकसभा सीटों की संख्या वर्तमान 545 से ज़्यादा बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है, ऐसे में आगे बहुत सी दिक्कत जगह से लेकर हो सकती है। सांसदों के बैठने के लिए मौजूद डेस्क बहुत तंग है और दूसरी पंक्ति के आगे कोई डेस्क नहीं है। सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र आयोजित होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या बढ़ जाती है। यहां सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी हैं। बुनियादी ढांचे से जुड़ी दिक्कतें, पुराने संसद भवन में जल आपूर्ति और सीवर लाइनें, एयरकंडीशनिंग, अग्निशमन उपकरण, सीसीटीवी कैमरे आदि से जुड़ी कई दिक्कतें हैं। आधिकारिक साइट का कहना है कि इमारत में अग्नि सुरक्षा एक बड़ी चिंता है। इस ही तरह के कई और बड़े मुद्दे हैं जिनके रहते पुरानी संसद को छोड़ने के पीछे के तर्क दिए जा रहे हैं।
आधिकारिक वेबसाइट नई संसद की कई अच्छाइयों का जिक्र करती है। जैसे कि इसका क्षेत्र लगभग 65,000 वर्ग मीटर है और बड़ी जगह है। नए भवन में 888 सीटों तक की क्षमता वाला एक बड़ा लोकसभा हॉल और 384 सीटों तक की क्षमता वाला एक बड़ा राज्यसभा हॉल होगा। संसद के संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा 1,272 सीटों तक की व्यवस्था है। लोकसभा हॉल भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर थीम पर बना है। राज्यसभा भारत के राष्ट्रीय फूल कमल थीम पर आधारित है। आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इमारत में एक अत्याधुनिक संवैधानिक हॉल है। इमारत में अत्याधुनिक कार्यालय होंगे जो सुरक्षित, कुशल और नवीनतम संचार तकनीक से जुड़े होंगे। नए भवन में ऑडियो-विज़ुअल बड़े कक्ष होंगे और यह एक बेहतरीन लाइब्रेरी भी होगी। यह इमारत भारतीय विरासत का प्रतीक होगी, जो “आधुनिक भारत की जीवंतता और विविधता, हमारी सांस्कृतिक और क्षेत्रीय कला और शिल्प को दिखाएगी।