Sedition Law (राजद्रोह कानून) को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ जड़ से खत्म करने पर आमादा हैं। एक प्रोग्राम में उन्होंने बताया कि क्यों Sedition जैसे कानून समाज के लिए घातक हैं। उनका कहना था कि जब ये कानून बनाया गया तब अंग्रेजी हुकूमत हमारे ऊपर शासन करती थी। वो अपने हिसाब से कानून की परिभाषा को बदल देते थे, क्योंकि उनको आंदोलनकारियों पर शिकंजा कसना होता था। अब ये काम हमारी सरकार करती है।
सीजेआई ने ये बात महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कही। ये विवि औरंगाबाद में स्थित है। सीजेआई खुद इस विवि के चांसलर भी हैं। उनका कहना था कि अंग्रेजों के समय बनाए गए Sedition सरीखे कई कानून समाज के लिए ठीक नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट इन पर विचार कर रहा है।
ध्यान रहे कि Sedition Law को लेकर सीजेआई केंद्र तक को आइना दिखा चुके हैं। केंद्र की आपत्ति के बावजूद उन्होंने Sedition से जुड़ा केस संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया है। ये केस बड़ी बेंच में भेजना इस वजह से भी जरूरी थी क्योंकि 1962 का केदारनाथ केस इस कानून की दूसरी ही परिभाषा देता है। वो मानता है कि Sedition से जुड़ा कानून ठीक है। भारत में इसे लागू करने में कहीं भी किसी तरह से कोई दिक्कत नहीं है।
हालांकि एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने Sedition से जुड़े कानून पर रोक लगा दी थी। सरकारों को आदेश था कि इस कानून के तहत कोई नया केस दर्ज ना किया जाए। जो लोग इस मामले में जेल में बंद हैं, उनकी रिहाई पर कोई अड़ंगा ना लगाया जाए। लेकिन ये व्यवस्था टेंपरेरी ही है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कानून के अनुसार हमेशा बड़ी बेंच का फैसला ही अमल में लाया जाता है। केदारनाथ मामले में पांच जजों की बेंच ने फैसला दिया था। लिहाजा जब तक सुप्रीम कोर्ट की उससे बड़ी या उतनी ही बड़ी बेंच उसके उलट कोई फैसला देती है तभी 1962 का कानून निष्प्रभावी हो सकता है।
सीजेआई इस मामले को पहले ही संवैधानिक बेंच में भेजने पर आमादा थे। लेकिन अटार्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने उनके दरख्वास्त की कि अगस्त तक इस मामले की सुनवाई टाल दी जाए, क्योंकि सरकार इस कानून पर विचार कर रही है। सीजेआई ने उनका अनुरोध तो मान लिया। लेकिन जैसे ही अगस्त आया सीजेआई ने Sedition से जुड़े केस को लिस्ट करने का आदेश दे दिया। सरकार उनसे केस की सुनवाई ना करने की गुहार करती रही अलबत्ता सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ही एक ना सुनी। उनका कहना था कि आप जो चाहें करिए, हम इसे बड़ी बेंच में भेज चुके हैं।