रूस और यूक्रेन के बीच में अभी भी युद्ध जारी है, कई महीने बीत चुके हैं लेकिन जमीन पर स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। हजारों सैनिकों ने जान गंवाई है, कई नागरिकों को देश छोड़ जाना पड़ा है। अब यूएन की सर्वोच्च अदालत में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अहम सुनवाई होने जा रही है। असल में रूस का तर्क ये रहा है कि ईस्टर्न यूक्रेन में लोगों के खिलाफ हो रहे नरसंहार को रोकने के लिए मिलेट्री ऑपरेशन चलाया गया।
वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन का कहना है कि अपने हमले को सही बताने के लिए रूस द्वारा ऐसे तर्क दिए जा रहे हैं। अब यूएन की सर्वोच्च अदालत इस पर फैसला करने वाली है, अभी तक जितनी भी कानूनी प्रक्रिया हुई है, उसमें यूक्रेन का पल्ला भारी दिख रहा है। असल में इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा 32 अन्य राज्यों की राय भी मांगी जाएगी। बड़ी बात ये है कि ये सभी 32 राज्य यूक्रेन के समर्थन में खड़े हैं, ऐसे में रूस का नरसंहार वाला तर्क काफी कमजोर साबित होने वाला है।
अब रूस ने अभी तक तो ICJ के आदेश को नहीं माना है, लेकिन जानकार मान रहे हैं कि अगर एक और फैसला पुतिन के खिलाफ आता है तो जमीन पर स्थिति उनके लिए और ज्यादा चुनौतीपूर्ण बन जाएगी। इसके अलावा अगर रूस के नरसंहार वाले दावे गलत साबित हो जाते हैं तो भारी भरकम मुआवजा भी यूक्रेन को देना पड़ सकता है। वैसे इस बीच खबर ये भी है कि यूक्रेन को आने वाले दिनों में और ज्यादा सैन्य मदद मिलने वाली है। अमेरिका की तरफ से उसे कई हथियार दिए जा सकते हैं। दूसरे कई देश भी यूक्रेन की बड़े स्तर पर मदद कर चुके हैं। ये अलग बात है कि भारत ने न्यूट्रल स्टैंड लेते हुए कूटनीति के जरिए इस मामले को सुलझाने की वकालत की है।