पीएम नरेंद्र मोदी आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता, जनता से ऐसा कनेक्ट जो आजाद भारत के बाद शायद ही किसी दूसरे नेता के साथ देखने को मिला हो। एक ऐसी शैली जिसने बिना थके, बिना रुके, लगातार काम करने वाली राजनीति को आगे बढ़ाने का काम किया। दीवारों पर पोस्टर लगाने से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बनने तक, पीएम मोदी ने एक लंबा और सफल सफर तय कर लिया है।
वो कहते हैं ना पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं, वैसे ही पीएम नरेंद्र मोदी की भी ऐसी शख्सियत रही कि बचपन में ही ये साफ हो चुका था कि उनमें सशक्त और सफल नेता बनने के सारे गुण हैं। टीम लीडरशिप से लेकर एक अच्छे वक्ता तक, ये सारी खूबियां तो उनमें पहले से ही थीं, बस राजनीति ने तो उन्हें उन खूबियों को दिखाने का एक प्लेटफॉर्म दे दिया था।
कई साल पुरानी बात है, मोदी वडनगर के बीएन हाई स्कूल में पढ़ा करते थे। स्कूल में एक कबड्डी मैच होना था। दो टीमें थी, एक जो हमेशा से ही हारती आ रही थी और दूसरी वो जिसने जीतने की आदत सी लग गई थी। अब हारने वाली टीम हर बार इसलिए कमजोर पड़ जाती थी क्योंकि उसके पास कोई भी एक्सपीरियंस खिलाड़ी नहीं था। वहीं दूसरी तरफ जो मजबूत टीम थी, वो सारे सीनियर्स को अपनी टीम में लेकर बैठी थी। अब हारने वाली टीम को अपनी तकदीर बदलनी थी, हर कीमत पर उन्हें स्कूल का वो कबड्डी मैच जीतना था। यहां से एंट्री हुई नरेंद्र दोमदरदास मोदी की।
हारने वाली टीम ने मोदी को एक मिशन सौंपा, एक ऐसी रणनीति बनाने को कहा गया जिससे विरोधी वाली टीम को हराया जा सके। अब यहां पर मोदी ने अपनी जो काबिलियत दिखाई आगे चलकर वो ही बात उनकी पॉलिटिकल मास्टरस्ट्रोक भी बनी। उन्हें पता था कि विरोधी को हराना है तो विरोधी की ताकत को समझना जरूरी है। उन्होंने तुरंत उस सनीयिर टीम के खिलाड़ियोंं पर नजर रखना शुरू कर दिया। वो कैसे खेलते थे, कब कौनसा दांव लगाते थे, सबकुछ वो नोट करते रहे। फिर वही दांव-पेंच मोदी अपने दूसरे साथियों को सिखा दिए। नतीजा ये हुआ कि पहली बार उस हारने वाली टीम ने सीनियर्स की टीम बुरी तरह हरा दिया।
अब मोदी की इस काबिलियत को अगर राजनीति से जोड़कर देखा जाए तो साफ पता चलता है कि आज भी वे अपने विरोधियों को हराने के लिए उनके दिमाग को पढ़ने का काम करते हैं। इसी वजह से कई मौकों पर विपक्ष के सियासी एजेंडे मुद्दा बनने से पहले ही हाईजैक हो जाते हैं। इसके अलावा जिस तरह से 2014 के बाद से मोदी ने बीजेपी को सिर्फ शहरी या कह लीजिए हिंदू पार्टी होने तक सीमित नहीं होने दिया, वो भी उनकी रणनीति के बारे में काफी कुछ बताता है।
इसी तरह पीएम मोदी की पिछले कई सालों में महिलाओं के प्रति जो संवेदना दिखी है, जिस तरह से उन्होंने गरीब महिलाओं के अधिकारों के लिए कई फैसले लिए हैं, इसकी झलक भी उनके बचपन में ही दिखाई पड़ गई थी। पीएम मोदी को लिखने का भी काफी शौक था, उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में एक नाटक की स्क्रिप्ट लिखी थी। वो नाटक उस महिला पर आधारित था जो निचली जाति की और उसी वजह से उसे मंदिर में जाने नहीं दिया जा रहा था। असल में मोदी ने ये सबकुछ अपनी आंखों से खुद देखा था, उसके बाद ही वो नाटक लिख डाला। अब तब के मोदी आज के मोदी में ज्यादा अंतर नहीं है। उनके जो भी अनुभव रहते हैं, उसी के आधार पर वैसी योजनाओं का ऐलान करते हैं। महिलाओं को चूले पर खाना बनाने में दिक्कत रहती है तो उनके लिए उज्जवला योजना, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के लिए आयुष्मान योजना।
पीएम मोदी की शख्सियत की एक खूबी ये भी है कि वे डरते नहीं है, बड़े फैसले लेने हों तो उनके पैर डगमगाते नहीं हैं। फिर चाहे बात पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिक और एयर स्ट्राइक की रही हो या फिर नोटबंदी की, या फिर जीएसटी लागू करने की, या फिर 370 के खात्मे की। लेकिन इस हिम्मती मोदी की शुरुआत बचपन में ही हो गई थी। पीएम मोदी ने अपने किस्सों की किताब में बताया है कि वे एक बार मगरमच्छ के बच्चे को घर ले आए थे। इसी तरह एक चिड़िया जब पतंग के धागे में फंस गई थी, मोदी मुंह में रेजर लेकर सीधे पेड़ पर चढ़ गए थे। ये सब बचपन के किस्से थे, लेकिन इन्होंने ही एक बड़े नेता के लिए बड़े फैसले लेने वाली भूमिका तैयार कर दी थी।
कई लोग बोलते हैं कि पीएम मोदी का ड्रेसिंग सेंस बहुत अच्छा है। उनका हाफ कुर्ता, उनके चश्मे, उनका चलने का अंदाज। अब ये सब विश्वास भी उनके उस गरीब बचपन की देन है जहां पर छोटे कमरे में रहते हुए भी स्कूल जाने के लिए पीएम मोदी अपनी शर्ट को हर बार प्रेस करते थे। पैसे नहीं थे, ऐसे में बिस्तर के नीचे दबाकर शर्ट को प्रेस किया करते थे। लेकिन उनका उसूल था, स्कूल में साफ बनकर, अच्छे कपड़े पहनकर जाना होता था। अब उस आदत को पीएम मोदी अभी भी नहीं छोड़ पाए हैं। एक दिन में अगर उनके दो से तीन कार्यक्रम हो जाएं, तो भी पीएम अलग-अलग अटायर में नजर आ जाएंगे। स्वतंत्र दिवस पर भी उनका हर बार का अलग अंदाज चर्चा का विषय बना रहता है।