चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया। लेकिन चंद्रयान-3 के लिए लॉन्चिंग पैड बनाने वाले कर्मचारी पिछले 18 महीने से अपने वेतन का इंतजार कर रहे हैं। जब 18 महीने बीत गया और उन्हें वेतन नहीं मिला तो कई कर्मचारी स्ट्रीट फूड बेच रहे हैं।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार चंद्रयान 3 के लिए लॉन्चिंग पैड, फोल्डिंग प्लेटफार्म, स्लाइडिंग डोर बनाने वाले कर्मचारी आज स्ट्रीट फूड बेचने को मजबूर है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें 18 महीने से वेतन नहीं मिला है। बता दें कि रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के 2800 कर्मचारियों को पिछले 18 महीने से वेतन नहीं मिला है।
चंद्रयान 3 के लिए HEC ने ही लॉन्चपैड बनाया था। वहीं वर्तमान में HEC ही इसरो के लिए एक और लॉन्चपैड बना रहा है। एचईसी एक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम है। HEC के टेक्नीशियन दीपक कुमार पिछले कुछ दिनों से इडली बेच रहे हैं।
बीबीसी से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पहले मैंने क्रेडिट कार्ड से घर चलाया और फिर 2 लाख कर्ज हो गया। इसके बाद मैं डिफाल्टर घोषित हो गया। फिर रिश्तेदारों से पैसे लेकर मैं घर चलाने लगा। अब तक 4 लाख का कर्ज हो गया है और मैं किसी को पैसे नहीं वापस कर पाया। फिर इसके बाद पत्नी के गहने गिरवी रखकर को अपने घर चलाया।
दीपक ने आगे कहा कि जब लगा भूखे मर जाएंगे तो मैंने इडली की दुकान खोल ली। मेरी पत्नी अच्छी इडली बनाती है तो मैं हर रोज ₹400 की इडली बेच रहा हूं, जिसमें कभी ₹100 भी प्रॉफिट हो जाता है और इसी से घर चला रहा हूं। दीपक ने यह भी बताया कि एक निजी कंपनी में मैं 2012 तक ₹25000 महीने की नौकरी करता था लेकिन फिर हेवी इंजीनियरिंग लिमिटेड में ज्वाइन किया कि सरकारी कंपनी है, भविष्य उज्जवल रहेगा लेकिन अब सब कुछ धुंधला है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार दीपक बताते हैं कि उनकी दो बेटियां हैं और 1 साल से स्कूल की फीस नहीं भर पाए हैं। क्लास में टीचर भी कहते हैं कि HEC वाले पेरेंट्स के बच्चे कौन हैं, मेरी बेटियां रोती हुईं घर आती हैं।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार केवल दीपक ही नहीं बल्कि कंपनी से जुड़े कई और कर्मचारी भी स्ट्रीट फूड ही बेच रहे हैं। मधुर कुमार नाम के कर्मचारी मोमोज बेच रहे हैं तो प्रसन्न भोई चाय बेच रहे हैं। वहीं मिथिलेश कुमार फोटोग्राफी कर रहे हैं।