सोमवार से संसद का विशेष सत्र शुरू हो जाएगा। इससे पहले पूर्व इलेक्शन कमिश्नरों ने इस सत्र में संभावित तौर पर पेश होने वाले एक बिल को लेकर चिंता जताई है। यह बिल मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति और कुछ अन्य प्रावधानों से जुड़ा है। पूर्व चुनाव कमिश्नर्स पीएम मोदी को इस संबंध में एक पत्र भी लिखने वाले हैं। उनका मानना है कि नए बिल से चीफ इलेक्शन कमिश्नर और अन्य कमिश्नर्स का ग्रेड डाउन होगा। उन्हें ऐसा क्यों लगता है और क्या है यह नया बिल, समझते हैं।
पीएम मोदी को लिखे जाने वाला पत्र पूरी तरह तैयार है और इस पर तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। जिसमें नए बिल को लेकर गहरी चिंता जताई गई है। इस बिल में एक प्रावधान सीईसी और दो चुनाव आयुक्तों के वेतन भत्ते और सेवा शर्तों को कैबिनेट सचिव के समान करने का प्रस्ताव है, फिलहाल यह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बराबर हैं, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त मानते हैं कि इसे कैबिनेट सचिव के बराबर करने से मुख्य चुनाव आयुक्त और दूसरे कमिशनर्स का ग्रेड डाउन हो जाएगा।
सवाल यह है कि क्या पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों की चिंता इतनी ही है जितना आपने अभी ऊपर पढ़ा है? नहीं, चिंता सिर्फ यह नहीं है बल्कि मामला दूसरा है।
दरअसल यह चिंता राजनीतिक संकेत से जुड़ी है और चुनाव आयोग की आजादी से जुड़ी है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सूत्रों ने कहा की मामला सिर्फ सैलरी से जुड़ा नहीं है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और कैबिनेट सचिव का बेसिक सैलरी लगभग बराबर है। हां सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रिटायर होने ज़्यादा फायदा हासिल करते हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों को नौकरशाही के साथ जोड़ने से संभावित रूप से उनके हाथ बंध सकते हैं और उनका अधिकार खत्म हो सकता है। पूर्व चुनाव आयुक्त चाहते हैं कि इसे इस ही शक्ल में रहने दिया जाए ताकि बेहतर ढंग से निष्पक्ष चुनाव कराए जा सकें।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी ने इन चिंताओं का खंडन करते हुए कहा है कि ऐसी आशंकाएं गलत हैं क्योंकि प्राथमिकता तालिका के मुताबिक (Table of Precedence) में सीईसी को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान रैंक या दर्जा प्राप्त रहेगा।
प्राथमिकता तालिका (Table of Precedence) एक प्रोटोकॉल लिस्ट है जिसका उपयोग सरकार में पदाधिकारियों और अधिकारियों को उनके पदों के आधार पर रैंक करने के लिए किया जाता है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश टेबल पर क्रम संख्या 9 पर हैं, जबकि सीईसी 9ए पर सूचीबद्ध है।
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023, जिसे 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया गया था, तीन चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए जिम्मेदार एक समिति के गठन से संबंधित है। इस समिति में प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल हैं, मार्च 2023 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के उलट भारत के मुख्य न्यायाधीश सदस्य के रूप में इसमें नहीं हैं।
2 मार्च, 2023 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भारत के चुनाव आयोग में नियुक्तियों को नियंत्रित करने वाली समिति में प्रधान मंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होंगे।