प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार यानी 17 सितंबर को 73 वर्ष के हो जाएंगे। पीएम मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता केवल देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में है। 2001 में नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। वहीं ठीक 13 साल बाद नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें। पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने ऐसे कई रिफॉर्म्स किए, जिसे देशवासियों ने खूब पसंद किया।
जीएसटी यकीनन मोदी के सुधार का सर्वोच्च बिंदु है। 1 जुलाई 2017 से लागू हुए छह साल पुराने जीएसटी ने 13 लाख करदाताओं को एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में ला दिया है। शुरुआती दिनों में जीएसटी में उतार-चढ़ाव देखा गया। हालांकि बाद में इसने महीने-दर-महीने आधार पर रिकॉर्ड कलेक्शन देखा। GST का विपक्षी दलों ने विरोध किया लेकिन मोदी सरकार अपने फैसले पर कायम रही।
UPI ने भारत के व्यापार करने के तरीके में क्रांति ला दी है। चायवाले को भुगतान करने से लेकर सुपरमार्केट में किराने का सामान खरीदने, यहां तक कि महंगे सामान के लिए भुगतान करने और पैसे ट्रांसफर करने तक, यूपीआई पसंदीदा भुगतान विकल्प बन गया है। इसकी भारी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल की तीसरी तिमाही में यूपीआई से वॉल्यूम के हिसाब से 19.65 अरब और वैल्यू के हिसाब से 32.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लेनदेन हुआ। आंकड़ों के अनुसार यूपीआई से इस वर्ष की तीसरी तिमाही में कुल डिजिटल लेनदेन का 42 प्रतिशत है।
पहली बार 2014-15 के आर्थिक सर्वेक्षण में प्रस्तावित, जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) मोदी सरकार का एक और प्रमुख सुधार है। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016 में सभी लाभार्थियों के जन धन योजना, आधार और मोबाइल नंबरों को जोड़ने की घोषणा की थी। इससे सरकार को सब्सिडी के लीकेज को रोकने में मदद मिली और यह सुनिश्चित हुआ कि गरीबों को उनके लिए बनाई गई योजनाओं का पूरा लाभ मिले। इसने कई ऐसे लोगों को बैंकिंग क्षेत्र में ला दिया, जो आर्थिक रूप से वंचित थे। यह योजना कोविड के समय में गेम चेंजर साबित हुई क्योंकि सरकार लोगों को सीधे मदद प्रदान कर सकी थी।
मोदी सरकार ने अक्टूबर 2021 में पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान लॉन्च किया। 100 लाख करोड़ रुपये की मेगा योजना से कनेक्टिविटी में सुधार करने वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण के माध्यम से व्यवसाय संचालन में लॉजिस्टिक क्षमता सुनिश्चित करने की उम्मीद है। 2040 तक 20 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य के अभिन्न अंग के रूप में करार दिए गए मास्टर प्लान से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
मेक इन इंडिया पहल को आवश्यक बढ़ावा देने के लिए 14 प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना 2020-21 में शुरू की गई थी। पीएलआई योजना रणनीतिक विकास क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करती है जहां भारत को तुलनात्मक लाभ है। इसमें घरेलू विनिर्माण को मजबूत करना, आपूर्ति श्रृंखला बनाना, भारतीय उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना और निर्यात क्षमता को बढ़ावा देना शामिल है। पीएलआई योजना से एमएसएमई इको-सिस्टम को लाभ मिलने के साथ उत्पादन और रोजगार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।