बॉम्बे हाई कोर्ट ने पति और पत्नी के रिश्तों पर एक सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है और कहा है कि पत्नी को “तुम्हारे पास दिमाग नहीं है, तुम पागल हो” कहना अपमानित करना नहीं होता है जब तक कि इसका संदर्भ क्लियर ना हो।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने माराठी भाषा में “तुला अक्कल नहीं, तू वेदी अहेस” कहे जाने को लेकर कहा कि ऐसा कई बार आम बोलचाल में भी कह दिया जाता है, इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा अपमानित करने के लिए ही कहा गया है। यह बात कोर्ट ने एक तलाक के मेटर पर सुनवाई के दौरान कही थी।
कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान पत्नी ने ऐसे उदाहरणों का हवाला देते हुए पति पर मानसिक और शारीरिक शोषण का आरोप लगाया था। आरोप था कि पति देर रात घर लौटता था हालांकि अदालत ने कहा कि पत्नी ने ऐसे मामलों की बहुत ज़्यादा जानकारी साझा नहीं की है और आमतौर पर कह दिया जाता है इसलिए यह अपमानजनक नहीं है।
इस जोड़े की शादी 2007 में हुई थी लेकिन शादी के कुछ वक्त बाद ही मतभेद सामने आने लगे थे। पति ने तर्क दिया कि पत्नी को पहले से ही पता था कि वे संयुक्त परिवार में रहेंगे लेकिन शादी के बाद उसने शिकायत करना शुरू कर दिया और अलग रहने की व्यवस्था चाहती थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी ने उनके माता-पिता का सम्मान नहीं किया और उनकी देखभाल नहीं की इसलिए वह उनके साथ नहीं रहते।
पत्नी ने दावा किया कि उसका वैवाहिक जीवन बुरे सपने जैसा था और उसने पहले कभी इस तरह के दुर्व्यवहार का सामना नहीं किया था। उसने पति और उसके माता-पिता पर तुच्छ मानसिकता वाले होने का आरोप लगाया और कहा कि पति ने 2009 में उसे उसके माता-पिता के घर छोड़ दिया था, जिसके बाद वे अलग-अलग रहते थे।
महिला ने उसपर 2013 में एक एफ़आईआर कारवाई थी जिसमें अलग-अलग आरोप लगाए गए थे। उच्च न्यायालय ने निर्धारित किया कि एफआईआर की जांच करने पर पता चला कि पत्नी ने पति पर झूठा आरोप लगाया था और ये आरोप मुकदमे के दौरान उसकी गवाही से मेल नहीं खाते थे।