सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के चार सदस्यों के खिलाफ दर्ज FIR में गिरफ्तारी पर रोक दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी है। अदालत ने शिकायतकर्ता से जानना चाहा कि मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ दो ग्रुप्स के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का अपराध कैसे बनता है। हालांकि सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस बात को लेकर तल्ख थे कि सुप्रीम कोर्ट उनकी रिट पर क्यों सुनवाई कर रहा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने उनसे जो बात कही उसके बाद तुषार मेहता के पास चुप रहने के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं था।
सीजेआई का कहना था कि Editors Guild के मेंबर्स के खिलाफ शिकायत सरकार की तरफ से की गई जवाबी कार्यवाही ज्यादा लगती है। अदालत का तर्क था कि हम एक बार ये मान भी लें कि Editors Guild के मेंबर्स की रिपोर्ट झूठी है। तो भी उनके खिलाफ आइपीसी की धारा 153ए (देशद्रोह) के तहत एक्शन कैसे हो सकता है। बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
सीजेआई ने कहा कि आपने जो आरोप FIR में लगाए हैं क्या उनको साबित कर पाएंगे। आपने पहले ही मान लिया है कि उनकी रिपोर्ट झूठी है। फिर आप अगला कदम उठा रहे हैं। क्या कोई गलत रिपोर्ट पब्लिश करने पर राजद्रोह के तहत FIR हो सकती है। उसी बीच तुषार मेहता ने दखल देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट केस की तह में जाने की बजाए केवल इस बात पर ध्यान दे कि क्या आरोपियों को मणिपुर हाईकोर्ट की बजाए दिल्ली हाईकोर्ट में रिट दाखिल करने की आजादी दी जा सकती है।
चंद्रचूड़ ने कहा कि मि. SG आर्मी ने Editors Guild को चिट्ठी लिख मणिपुर आने के लिए कहा था। सेना समझती थी कि लोगों को सच कि बजाए दूसरी चीजें दिखाई जा रही हैं। लिहाजा Editors Guild के मंबर्स को मणिपुर आकर सच का पता लगाने का न्योता दिया गया था। वो धरातल पर गए। उनकी रिपोर्ट सही या गलत हो सकती है लेकिन हम अपनी मनमर्जी से फ्री स्पीच का गला तो नहीं घोंट सकते हैं। उसके बाद मेहता के तेवर ढीले पड़ गए। उन्होंने सीजेआई से दरख्वास्त की कि वो केस की मेरिट को लेकर कोई कमेंट न करें। सीजेआई ने कहा कि वो इस बात पर हैरान हैं कि मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने Editors Guild के खिलाफ दायर PIL कैसे सुनी। उनका कहना था कि और भी बहुत सारे मसले हैं जिन पर हाईकोर्ट काम कर सकता है।
शिकायतकर्ताओं की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट गुरु कृष्ण कुमार ने कहा कि अगर Editors Guild के मेंबर्स अपनी रिपोर्ट को वापस ले लें तो शिकायतकर्ता अपनी शिकायत पर जोर नहीं देंगे। उनका कहना था कि इस तरह की रिपोर्ट्स समस्या को बढ़ाती हैं। मणिपुर में कर्फ्यू हटा दिया गया था। लेकिन ये रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद वहां हालात बेकाबू हो गए। कर्फ्यू फिर से लगाना पड़ गया।