एनसीपी में जब से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार दो फाड़ करने का काम किया है, चाचा शरद पवार की चुनौतियां सिर्फ बढ़ती चली गई हैं। ये मामला इस समय चुनाव आयोग में भी चल रहा है जहां पर दोनों ही गुट की तरफ से दावे ठोक दिए गए हैं। सवाल वही चल रहा है-एनसीपी पर शरद पवार का हक रहने वाला है या फिर नई-नई बगावत करने वाले अजित एनसीपी के नए चीफ कहलाएंगे।
अब इसी बात का फैसला करने के लिए चुनाव आयोग ने दोनों शरद और अजित गुट को तीन अक्टूबर को पूरी बेंच सामने पेश होने के लिए कहा है। जानकारी के लिए बता दें कि दोनों ही गुटों ने तमाम दस्तावेज चुनाव आयोग को पहले ही सौंप दिए हैं। उन दस्तावेजों में ही इस पूरे विवाद का सार है और सारी दलीलें भी विस्तृत तरीके से बताई गई हैं। अब चुनाव आयोग को ये फैसला करना है कि आखिर किस गुट को एनसीपी की कमान सौंपी जाए।
वेसे कुछ दिन पहले शरद गुट की तरफ से साफ कहा गया था कि एनसीपी में कोई दो फाड़ नहीं हुई है। ये बात करने इसलिए कही गई क्योंकि दिखाने का प्रयास हुआ कि असल में एनसीपी आज भी शरद पवार की ही है और जिन भी विधायकों ने बगावत की है उनकी सदस्यता जाना निश्चित है। वहीं दूसरी तरफ अजित गुट पहले ही विधायी और संगठनात्मक दोनों विंग के सदस्यों के सिग्नेचर दस्तावेजों के साथ सौंप चुका है।
जानकारी के लिए बता दें कि अजित पवार ने इस साल दो जुलाई को अजित पवार ने चाचा शरद पवार को सबसे बड़ा सियासी झटका दिया था। उन्होंने एनसीपी के कई विधायकों के साथ मिलकर एनडीए से हाथ मिलाया था। उनकी तरफ से आठ बड़े एनसीपी के नेताओं को तो शिंदे सरकार में मंत्री भी बनवा दिया गया। उन्हीं सब नेताओं ने बाद में एक तय प्रक्रिया के तहत अजित पवार को अपना प्रमुख चुन लिया। ये अलग बात है कि दूसरे गुट ने इसे स्वीकार नहीं किया और विवाद बढ़ता ही चला गया।
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