इस साल फरवरी में जब नासिर और जुनैद की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जिस तरह से उनकी गाड़ी को पेट्रोल से जला दिया गया था, कई तरह के गंभीर सवाल खड़े हो गए थे। लेकिन अब उन सवालों के जवाब मिलने शुरू हो गए हैं। गौरक्षा के नाम पर कुछ संगठन किस तरह से समाज में हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं, किस तरह से कई लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है, इसका पूरा वर्किंग पैटर्न समझ आ गया है।
यहां सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि मोनी मानेसर उर्फ मोहित यादव को हरियाणा पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार किया, बाद में उसे राजस्थान पुलिस को हैंडओवर कर दिया गया। नासिर-जुनैद की हत्या पर उससे कई घंटों की पूछताछ की जा चुकी है। क्या जानकारी सामने आई, स्पष्ट नहीं, लेकिन अब तक की जांच से ये साफ है कि नासिर और जुनैद पर लंबे समय तक गौरक्षकों की नजर थी। वो जानते थे ये दोनों कहां जाते हैं, कितनी देर रुकते हैं। उन्हें अपने बनाए गए कुछ वाट्स ऐप ग्रुप्स पर सारी जानकारी मिलती रहती थी।
एक पुलिस अधिकारी ने गौरक्षों की इस मोडस ऑप्रेंडी को लेकर विस्तार से बताया गया है। कहा गया है कि जिन पर भी गायों की तस्करी करने का आरोप लगता है, या जिन पर थोड़ा भी शक होता है, ऐसे लोगों की सारी कुंडली काफी पहले ही निकल ली जाती है, फिर असल एक्शन तो उसके कई दिनों बाद होता है। अब दावा ये किया गया है कि नासिर और जुनैद का नंबर भी कई ग्रुप्स पर पहले ही शेयर किया जा चुका था। यानी कि पहले से ही उन पर हमला करने की तैयारी थी। फिर 14 और 15 फरवरी को हमले को अंजाम दिया गया।
मामले में जो चार्जशीट दायर की गई है, उससे पता चलता है कि आरोपियों ने नासिर और जुनैद को मारने से पहले खुद को दो गुट में बांट लिया था। उन्हें पता था कि दोनों नासिर और जुनैद कहा जाने वाले थे। बड़ी बात ये है कि आरोपी नासिर और जुनैद को जान से नहीं मारना चाहते थे, उनके तो सिर्फ दो गोल थे- पहला गाय के साथ दोनों को रंगे हाथों पकड़ना, दूसरा- गाय साथ ना मिले तो मार-पीटकर उनसे सच उगलवाना। अब क्योंकि नासिर-जुनैद के पास कोई गाय नहीं मिली थी, ऐसे में उन्हें बुरी तरह पीटा गया। उस पिटाई की वजह से ही दोनों बुरी तरह जख्मी हो गए और उनकी जान चली गई।
इसके बाद सबूतों को मिटाने के लिए गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया गया। पहले दोनों नासिर और जुनैद को हरियाणा पुलिस के पास छोड़ने का फैसला हुआ, लेकिन जब पुलिस ने खुद को उन दोनों ही लोगों से दूर कर लिया, तब जाकर ये कदम उठाया गया और गाड़ी को ही आग करे हवाले कर दिया गया। उस एक घटना के बाद काफी बवाल हुआ, नूंह में तो भयंकर हिंसा का दौर भी देखने को मिल गया। लेकिन इन तमाम दावों, पुलिस की चार्जशीट के बावजूद भी मोनी मानेसर अपने जुर्म को मानने को तैयार नहीं है।