तेरह जजों की प्रमोशन से जुड़े मामले में बुधवार दोपहर मजेदार वाकया पेश आया। जस्टिसेज ने हरियाणा की जॉइंट सेक्रेट्री को उस चिट्ठी पर जवाब देने के लिए अपने सामने तलब किया जिसमें वो कह रही थीं कि वो सरकार को आदेश नहीं दे सकते। बेंच ने जब पूछा कि उनकी इतनी हिम्मत कैसे हुई जो हमें कानून समझाने लगीं तो अफसर रश्मि ग्रोवर की घिग्गी बंध गईं। बोलीं- वो चिट्ठी सीएम मनोहर लाल खट्टर की तरफ से जारी हुई थी। हाईकोर्ट का गुस्सा इससे और ज्यादा भड़क गया। आदेश जारी किया गया कि रश्मि के साथ गुरुवार दोपहर दो बजे हरियाणा के चीफ सेक्रेट्री भी पेश होंगे। उनसे पूछा गया है कि सरकार ऐसा आदेश कैसे जारी कर सकती है। वो कैसे अदालत को ही कानून सिखाने का काम कर सकती है।
दरअसल हाईकोर्ट ने एक सिफारिश लागू करने का आदेश हरियाणा सरकार को दिया था। इसमें तेरह जजों को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के तौर पर प्रमोट किया जाना था। फरवरी में ये सिफारिश सरकार को भेजी गई थी। लेकिन छह महीने से इस पर कोई फैसला सरकार नहीं ले सकी। जब हाईकोर्ट ने जवाब मांगा तो रश्मि ग्रोवर की तरफ से जारी चिट्ठी में कहा गया कि वो सीएम मनोहर लाल खट्टर की तरफ से एप्रूव थी। उसके बाद चीफ सेक्रेट्री तलब हुए। वीरवार दोपहर दो बजे वो हाईकोर्ट में जवाब देंगे कि ऐसी चिट्ठी कैसे जारी हुई। रश्मि ग्रोवर ने हाईकोर्ट को कहा था कि वो सरकार को फैसला लेने पर विवश नहीं कर सकते। ये हमारा अधिकार क्षेत्र है कि जजों के प्रमोशन की फाइल को मंजूरी दी जाए या नहीं। हमने फैसला लिया हैकि ये सिफारिश अमल में नहीं लाई जाएगी। सरकार ने हाईकोर्ट से कहा कि वो गवर्नर से कैसे अपेक्षा कर सकते हैं कि वो उनका आदेश मानें।