जिग्नासा सिन्हा
G20 Security Operations Planning: देश की राजधानी में आयोजित हुआ जी-20 शिखर सम्मेलन का समापन हो चुका है, लेकिन उसके बाद भी कई ऐसे मुख्य बिंदु हैं, जिनके बारे में जानना और समझना हम सभी के लिए काफी अहम हो जाता है। उन्हीं में एक सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान सुरक्षा-व्यवस्था का। आखिर जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दिल्ली की सुरक्षा-व्यवस्था को कैसे हैंडल किया गया और सुरक्षा कर्मियों को ट्रेनिंग देने की कब से तैयारी चल रही थी कि वो किसी समस्या का समाधान कैसे निकाल सकें। आइए जानते हैं जी-20 की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर दिल्ली पुलिस की कामयाबी का राज।
एक विशेष सीपी स्तर के अधिकारी ने राष्ट्रीय राजधानी में जी20 शिखर सम्मेलन के लिए अपनी नौ महीने की प्लानिंग के बारे में बताया। जिसमें व्यापक स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था और सैकड़ों कर्मियों को प्रशिक्षण देना शामिल था। उन्होंने बताया कि हमारे पास हर स्थिति के लिए एक प्लानिंग थी। हमारी प्लानिंग इतनी ऐसी थी कि अगर कोई गणमान्य भारी बारिश में फिसल जाए, ऐसी स्थिति में हमारे पास चुने हुए और प्रशिक्षित कर्मचारी थे कि उनको कैसे फिसले हुए अतिथि के पास कैसे जाना है और उन्हें उठाना है। फिर ये पुलिसकर्मी अतिथि को नजदीकी अस्पताल ले जाएंगे।
पूरे सुरक्षा तंत्र को संभालने वाले विशेष आयुक्त मधुप तिवारी के अनुसार, कई ऑडिट किए गए और कई एजेंसियों के साथ संयुक्त बैठकें की गईं। उन्होंने कहा कि हमने फरवरी-मार्च में एक व्यापक योजना का मसौदा तैयार किया, जिसमें 5-6 बार छोटे-छोटे बदलाव देखे गए। हमें हर चीज की योजना बनानी थी। योजना में होटल, यातायात और वीवीआईपी आवाजाही, आईटीपीओ और हवाई अड्डों की भी सुरक्षा व्यवस्था शामिल थी। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था जब जिला पुलिस कर्मियों को सुरक्षा विभाग का काम करने के लिए कहा गया था। इसलिए, उन्हें विभिन्न एजेंसियों द्वारा प्रशिक्षित किया गया। हमने दिल्ली की सड़कों और स्थानों के अनुसार एक उचित स्ट्रक्चर तैयार किया था।
सुरक्षा बलों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए, द इंडियन एक्सप्रेस ने दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्तों से बात की, जिन्हें कार्यक्रम के लिए स्थल कमांडर नियुक्त किया गया था और तीन दिनों के दौरान सैकड़ों अधिकारियों और कर्मियों का नेतृत्व किया था।
Bharat Mandapam: डीसीपी (G20 cell) श्वेता चौहान ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन दौरान हम पूरे समय एक्टिव थे। उन्होंने कहा कि हमें निर्माणाधीन स्थल (आईटीपीओ कॉम्प्लेक्स) पर सुरक्षा तैनाती की योजना बनानी थी। हमने नक्शे बनाए और अलग-अलग क्षेत्र बनाए। हमने अधिकारियों की जिम्मेदारियां भी तय कीं, सभी इकाइयों और जिलों के साथ समन्वय किया और एक एकीकृत कमान के तहत काम किया। हमने शिखर सम्मेलन के लिए कई मॉक ड्रिल और ड्राई रन भी आयोजित किए।
दिल्ली पुलिस द्वारा राजघाट पर कम से कम पांच मॉक ड्रिल किए गए जहां जी-20 के राष्ट्राध्यक्षों ने महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित की। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी), सीएपीएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ दो अन्य मॉक ड्रिल और रिहर्सल किए गए। 230 से अधिक कैमरा काफिला की निगरानी के लिए लगाए गए थे। आईटीपीओ परिसर में, पुलिस के पास 700 से अधिक कैमरे थे, जो दिल्ली पुलिस मुख्यालय में लाइव-फीड प्रदान करते थे और एक कमांड रूम में चौबीसों घंटे उनका विश्लेषण किया जाता था।
IGI, Palam Airports: इन स्थानों की प्रभारी स्पेशल आयुक्त नुज़हत हसन थीं, जिन्होंने एक टीम के साथ काम किया। वो 5-12 सितंबर तक हवाई अड्डों पर तैनात थी। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कहा, ‘हवाईअड्डे पर सुरक्षा की प्लानिंग बनाना मुश्किल भरा था। हमें एटीसी अधिकारियों और वायु सेना के साथ काम करना था… यदि एटीसी किसी विमान को लैंडिंग की मंजूरी दे देता है, तो हमें नेता के काफिले की व्यवस्था करनी होती है, भले ही किसी अन्य नेता का विमान पहले आ जाए। इसके अलावा, कुछ प्रतिनिधि कई विमान लेकर आए… हमने योजना बनाई थी कि हवाईअड्डों पर यातायात को कैसे डायवर्ट किया जाए। हम हर समय विदेश मंत्रालय के संपर्क अधिकारियों और अन्य कर्मियों के संपर्क में थे। अंत में हवाईअड्डा पर सुरक्षा व्यवस्था का कार्य सफल रहा। किसी भी नेता को इंतजार नहीं पड़ा और सुरक्षा-व्यवस्था की भी कोई समस्या नहीं हुई।
Rajghat: यहां पर स्पेशल आयुक्त शालिनी सिंह और उनकी टीम महात्मा गांधी की समाधि स्थल पर प्रतिनिधियों द्वारा पुष्पांजलि समारोह की अपनी योजना को सही बनाने के लिए महीनों तक काम किया। चूंकि यह एक खुली जगह है, दरियागंज में आसपास की इमारतों और घरों के ऊपर कई स्नाइपर्स को तैनात करना पड़ा।
उन्होंने बताया कि राजघाट के सामने सीमित जगह है। इसलिए, हमने प्रत्येक टुकड़ी को दो भागों में बांटा। जी-20 नेताओं को अपने साथ राजघाट तक केवल तीन-चार कारें लाने की अनुमति थी। अन्य कारों को एमजी रोड की ओर मोड़ दिया गया। ऐसे आयोजनों के लिए नियमों का पालन किया गया। उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति में कुछ देरी को लेकर भी तैयार थे।
सिंह ने यह भी बताया कि कैसे वह और उनकी टीम रविवार को सुबह तीन बजे स्मारक स्थल पर पहुंची और 10 बजे तक काम किया। उन्होंने कहा कि हमने एक तरफ विदेशी सुरक्षा अधिकारियों के लिए तंबू बनाए। यह एक महत्वपूर्ण घटना थी, क्योंकि सभी लोग एक ही समय पर एक ही स्थान पर एकत्र हुए थे। बारिश एक समस्या थी, लेकिन किसी ने अपना स्थान नहीं छोड़ा। हमने कर्मियों को तलाशी और सुरक्षा जांच के दौरान प्रतिनिधियों के साथ विनम्रता से बातचीत करने के लिए प्रशिक्षित किया था। केवल दिल्ली पुलिस कर्मियों को राजघाट में प्रवेश करने की अनुमति थी, सभी विदेशी सुरक्षा कर्मी बाहर तैनात थे।
Hotels: 1,700 से अधिक पुलिस कर्मियों के साथ काम करते हुए, विशेष आयुक्त एचजीएस धालीवाल और रवींद्र यादव को उन होटलों में तोड़फोड़, आतंकवाद विरोधी और अन्य सुरक्षा जांच करने के लिए कहा गया जहां प्रतिनिधि रुके थे।
लुटियंस दिल्ली में 12 होटलों के प्रभारी धालीवाल ने कहा, “यह एक चुनौती थी, क्योंकि प्रत्येक होटल अलग था और उसकी सुरक्षा आवश्यकताएं भी अलग थीं। हमें इन होटलों में सभी बिंदुओं पर अचूक सुरक्षा सुनिश्चित करनी थी। यहां तक कि उन जगहों पर भी जहां हमारे कर्मचारियों की आवाजाही प्रतिबंधित थी। उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमने Liaison अधिकारियों और संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय में काम किया। काफिलों की गतिविधि पर भी बारीकी से नजर रखी गई।”
Traffic: विशेष सीपी (Traffic, Zone 2) एसएस यादव ने कहा, “हमारे पास फुलप्रूफ व्यवस्था थी और महत्वपूर्ण जंक्शनों पर निरीक्षकों को तैनात किया गया था। हमने सुझाव दिया कि नई दिल्ली जिले में कोई जाम न हो यह सुनिश्चित करने के लिए पीडब्ल्यूडी महत्वपूर्ण जंक्शनों पर साइनेज लगाए और यू-टर्न का निर्माण करे। महिला यातायात निरीक्षकों को भी तैनात किया गया था, जो परेशानी मुक्त काफिले की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए अपने पैरों पर खड़ी थीं। डीसीपी (यातायात मुख्यालय) चंदर कुमार सिंह और डीसीपी (यातायात, नई दिल्ली) अलाप पटेल मेरी देखरेख में प्रयासों का कोर्डिनेशन करने वाले नोडल अधिकारी थे।