पाकिस्तान में अहमदी अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले लगातार जारी हैं। साल 2023 में अब तक पाकिस्तान के अलग-अलग इलाकों में अहमदिया मुसलमानों के पूजा स्थलों पर कई हमले हुए हैं। यह दावा समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान द्वारा लाई गई रिपोर्ट में किया गया है, यह रिपोर्ट दावा करती है कि जनवरी 2023 के बाद से देश भर में ऐसी कई घटनाए हुई हैं, जिनमें से 10 सिंध में हुईं पंजाब प्रांत की हैं।
जमात-ए-अहमदिया द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ अहमदी पूजा स्थलों पर एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी द्वारा हमला किया गया, जबकि अन्य घटनाओं में पुलिस ने धार्मिक चरमपंथियों के दबाव में मीनारों और मेहराबों को गिराया है।
इसमें एक हालिया घटना का भी जिक्र है कि जब 8 सितंबर को 1984 से पहले बने अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थलों के खिलाफ ऐसी कार्रवाइयों पर प्रतिबंध लगाने के हाईकोर्ट के आदेश बावजूद पंजाब प्रांत में पुलिस ने अहमदियों के पूजा स्थल के मेहराबों को नुकसान पहुंचाया था।
इससे पहले पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने कहा था कि अहमदिया पूजा स्थलों पर हमले हाईकोर्ट के फैसले के साफतौर पर खिलाफ हैं। समुदाय का कहना है कि 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक पुलिस को समुदाय की रक्षा करनी चाहिए। जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान का कहना है कि देश में पहले से ही हाशिए पर मौजूद अहमदियों के लिए स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।
पाकिस्तान में अहमदियों को आमतौर पर कादियानी कहा जाता है, जो उनके लिए अपमानजनक शब्द माना जाता है। रिपोर्ट दावा करती है कि 1974 में पाकिस्तान की संसद ने अहमदी समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था। एक दशक बाद उन पर खुद को मुस्लिम कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। उन पर उपदेश देने और तीर्थयात्रा के लिए सऊदी अरब की यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि पाकिस्तान में अहमदियों की संख्या लगभग दस लाख है, लेकिन अनौपचारिक आंकड़े उनकी आबादी को बहुत अधिक बताते हैं।