रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज पूरा विश्व इस बात को पूरी गंभीरता से समझता है कि अपने परंपरागत शाश्वत ज्ञान आधारित मूल्यों के आधार पर भारत वैश्विक कल्याण हेतु प्रतिबद्ध है। आज दुनिया का कोई भी काम भारत की सहभागिता के बगैर अधूरा ही रहेगा क्योंकि हम विश्व की जनसंख्या का 18 फीसद हैं। भारत की जनसंख्या, चुनौतियों का सामना करने में एक सशक्त माध्यम है। भारत के पास भरपूर प्रतिभाएं और उपभोक्ता आधार है। इसका उपयोग विश्व के मुद्दों को संबोधित करने के लिए किया जा सकता है। शिक्षित श्रमिक प्रदान करने से लेकर पर्यावरण के लिए सामर्थ्य उत्पाद और सेवाओं की मांग बढ़ावा देने तक जनसंख्या का बड़ा महत्त्व है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)2020 मूलभूत शिक्षा के महत्त्व को रेखांकित करता है, जिसमें साक्षरता, संख्यात्मकता और सामाजिक-भावनात्मक कौशल शामिल हैं। दिल्ली के जी20 शिखर सम्मेलन ने न केवल भारत की एनईपी 2020 को मान्यता दी गई, बल्कि इसके मूल सिद्धांतों को घोषणापत्र में स्थान दिया गया है। शिक्षा के इन मूलभूत निर्माण खंडों को जी20 देशों द्वारा व्यक्तिगत विकास और रोजगार के लिए आवश्यक माना गया।
घोषणा में इस बात पर जोर दिया गया कि मानव पूंजी विकास में निवेश इन क्षेत्रों में मजबूत नींव के साथ शुरू होता है। हमने अपनी नीति में स्पष्ट रूप से रेखांकित किया कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में हो। शिक्षा और मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर विशेष ध्यान, बच्चो के विद्यालय छोड़ने को कम करना, स्कूल शिक्षा के सभी स्तरों पर सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना, एकीकृत, सुखद और आकर्षक वातावरण, शिक्षक सशक्तिकरण न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा, मानक-सेटिंग और प्रत्यायन शैक्षणिक रूप से ध्वनि शिक्षण और सीखने की प्रथाओं को अपनाना शिक्षण, सीखने और मूल्यांकन में प्रौद्योगिकी को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।
जी20 शिखर सम्मेलन इस अवधारणा से मेल खाता है कि तेजी से बदलती दुनिया में व्यक्तियों को कार्यबल में प्रासंगिक बने रहने के लिए लगातार नए कौशल हासिल करने की आवश्यकता है। यह प्रतिबद्धता 21वीं सदी के कौशल से सुसज्जित कार्यबल बनाने के एनईपी के दृष्टिकोण के अनुरूप है।एनईपी-2020 के अनुरूप समावेशी शिक्षा के लिए डिजिटल तकनीक अपनाने पर भारत की सर्वत्र सराहना हुई है।
डिजिटल विभाजन को पाटने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि शिक्षा उभरते रुझानों और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखे, जी20 राष्ट्र डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह प्रतिबद्धता एनईपी के संदर्भ में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जो शिक्षा को अधिक सुलभ और न्यायसंगत बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की कल्पना करती है।
जी20 सदस्यों ने खुले, न्यायसंगत और सुरक्षित वैज्ञानिक सहयोग के लिए भी आगे बढ़कर समर्थन व्यक्त किया। अगर देखा जाए जी20 पर सर्वाधिक प्रभाव एनईपी 2020 की समावेशिता ने डाला। जी20 शिखर सम्मेलन की घोषणा में कमजोर आबादी सहित सभी के लिए समावेशी, न्यायसंगत और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण की प्रतिबद्धता दोहराई गई। पहुंच और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर एनईपी का जोर इस प्रतिबद्धता के साथ दृढ़ता से मेल खाता है, जो शैक्षिक समावेशिता के महत्त्व की पुष्टि करता है।
भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को जी20 शिखर सम्मेलन में मान्यता और समर्थन प्राप्त हुआ है। शिखर सम्मेलन की घोषणा मूलभूत शिक्षा, आजीवन कौशल विकास, डिजिटल समावेशन और खुले वैज्ञानिक सहयोग के महत्व पर वैश्विक सहमति को दर्शाती है। जैसे-जैसे भारत एनईपी के कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़ रहा है, वह इस अंतरराष्ट्रीय समर्थन से प्रेरणा ले सकता है और अपने शिक्षा परिदृश्य को ऐसे परिदृश्य में बदलने की दिशा में अपनी यात्रा जारी रख सकता है जो वास्तव में समावेशी और 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए सुसज्जित है।
जी20 देशों ने एनईपी-20 में उल्लिखित मूलभूत शिक्षा, आजीवन कौशल विकास और डिजिटल समावेशन के महत्व को स्वीकार किया, और शिक्षा के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई। जी20 इन मूल्यों को आपसी सहयोग, सामंजस्य और आपसी सम्मान को प्रोत्साहित करने के लिए बढ़ावा दिलाने के लिए उपयोग कर रहा है। भारत अपनी आधुनिकता और पारंपरिकता के आधार पर दुनिया को एक सशक्त, संवाद केंद्रित, और समृद्ध विश्व की दिशा में अग्रसर करने के लिए उपयोग करने में सफल रहा है।