जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र रहे उमर खालिद को दिल्ली की तिहाड़ जेल में तीन साल पूरे हो रहे हैं। वह फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों की साजिश रचने के आरोप में कैद हैं। उमर खालिद पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम-UAPA के तहत मामला दर्ज है। फिलहाल जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ उमर खालिद की विशेष जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है। पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका सुनवाई होनी थी लेकिन इसे चार हफ्तों के लिए स्थगित कर दिया गया है।
उमर खालिद की जमानत याचिका के 18 मई को सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट किए जाने के बाद से अब तक सुनवाई पांच बार स्थगित हो चुकी है। न्यायाधीश जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा भी खुद को इस मामले से अलग कर चुके हैं, जिन्हें पिछले महीने सुनवाई करनी थी। आज एक बार फिर सुनवाई चार हफ्तों के लिए स्थगित कर दी गई है। लाइव लॉ के मुताबिक पीठ ने उमर खालिद की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल से कहा,”हमें रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को देखना होगा और हर दस्तावेज की जांच करनी होगी ताकि यह आंकलन किया जा सके कि उमर खालिद के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सामग्री क्या है।”
उमर खालिद के मामले में लगातार दी जा रही तारीखों के दरमियान हमें याद करना चाहिए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का वो बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट की छवि बेहतर बनाने के लिए कदम उठा रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा था कि कोर्ट अपनी अक्सर मामलों को स्थगित करने वाली इमेज को बदलने की कोशिश करेगा। उन्होंने एक मामले की सुनवाई को स्थगित करने से इनकार करते हुए कहा था कि हम सुप्रीम कोर्ट की इस ‘तारीख पे तारीख’ वाली इमेज को बदलना चाहते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ अदालतों से सबसे पुराने मामलों की पहचान करने और उनका निपटारा करने की बात भी कह चुके हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था,“जैसा कि हम न्याय तक पहुंच के बारे में सोचते हैं, हमें न्यायपालिका की छवि को बदलने की जरूरत है, ‘तारीख पे तारीख’ से हमारी छवि खराब होती है। हर अदालत चाहे वह हाईकोर्ट हों या जिला अदालतें हम सभी के लिए एक शुरुआती बिंदु सबसे पुराने मामलों और उसके बाद के दस वर्षों में मामलों की संख्या की पहचान करना और अगले कुछ महीनों में सबसे पुराने मामलों क्लियर करना होना चाहिए।”
उमर खालिद दो साल और ग्यारह महीने से अधिक समय से जेल में है। उमर खालिद को 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली सांप्रदायिक दंगा मामले गिरफ्तार किया गया था, इस केस में और भी कई लोग जेल में बंद हैं। उमर खालिद पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13, 16, 17 और 18, शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
आज कोर्ट में उमर खालिद के वकील कपिल ने सिब्बल ने चार हफ्ते के बाद की तारीख पर सहमति जताते हुए कहा,”हमने इस मामले में सबकुछ सामने रख दिया है, सबूतों के अलावा हमारा पहला निवेदन यह है कि धारा 16, 17 और 18 बिल्कुल भी लागू नहीं होती हैं।” जस्टिस बोस ने जवाब देते हुए कहा, “हमें सबूतों के आधार पर इसे भी सत्यापित करना होगा।”