मध्यप्रदेश के धार में 11वीं सदी की विवादित ऐतिहासिक इमारत भोजशाला में अज्ञात लोगों द्वारा मूर्ति रखने की कोशिश के बाद तनाव बढ़ गया। इसके बाद भोजशाला के आस पास बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। एमपी के धार में रविवार रात भोजशाला में अज्ञात लोगों ने मां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित कर दी। जिसके फोटो-वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किए जा रहे हैं। प्रतिमा स्थापित होने की जानकारी जैसे ही प्रशासन को लगी प्रशासन ने तुरंत प्रतिमा को भोजशाला से हटा दिया।
वहीं, दूसरी ओर भोज उत्सव समिति का कहना है कि मूर्ति वापस नहीं लगाई गई तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा। हिंदू संगठनों के लोगों ने भोजशाला के अंदर पहुंचकर मां वाग्देवी के जयकारे लगाए। भोज उत्सव समिति के लोगों ने कहा कि भोजशाला में मां वाग्देवी की प्रतिमा स्वयं स्थापित हुई है, प्रशासन ने इसे यहां से हटाकर गलत किया है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत सिंह बाकरवाल ने बताया कि कुछ अज्ञात असामाजिक तत्वों ने भोजशाला के बाहर सुरक्षा के लिए लगाए गए कंटीले तार के बाड़ को रात में काटकरभोजशाला में मां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित कर दी थी, इसके तुरंत बाद पुलिस ने संज्ञान लिया। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर सभी की पहचान कर ली गई है। फिलहाल इलाके में शांति कायम है। सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने वाले लोगों पर भी पुलिस की कड़ी नजर है।
हिंदू और मुस्लिम दोनों भोजशाला पर दावा करते हैं। इसी को लेकर दोनों के बीच लंबे वक्त से विवाद चला आ रहा है। हिंदू पक्ष भोजशाला को सरस्वती मंदिर मानता है। जबकि मुस्लिम पक्ष द्वारा यहां नमाज अदा की जाती है। हिंदू भोजशाला को वाग्देवी यानी सरस्वती का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इस परिसर को कमाल मौला मस्जिद बताते हैंभोजशाला का नाम राजा भोज के नाम पर रखा गया है। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्मारक है।
धार में 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने शासन किया। उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, जिसे बाद में भोजशाला के नाम से जाना जाने लगा। हिंदू इसे सरस्वती मंदिर भी मानते थे। ऐसा कहा जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को ध्वस्त कर दिया। बाद में 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी। बताया जाता है कि 1875 में यहां पर खुदाई की गई थी, जिसमें सरस्वती देवी की एक प्रतिमा निकली। फिलहाल ये प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में है।