भाजपा सरकार के केंद्र में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने फैसलों से कई बार विपक्ष को चौंकाया है। पिछले कुछ हफ्तों से मोदी सरकार G20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाने की तैयारी में जुटी थी, राजनीतिक हल्कों में चर्चा यह भी है कि भाजपा G20 को आने वाले चुनाव में मुद्दा बनाकर इसे एक सकारात्मक प्रचार के तहत भुना सकती है। लेकिन G20 से पहले भी और खासतौर पर अब चर्चा लोकसभा के विशेष सत्र को लेकर जारी है। यह जानना जरूरी है कि विपक्ष जिस एजेंडे को सामने रखने की मांग सरकार से कर रहा है वह क्या हो सकता है?
G20 समिट से पहले मीडिया और सोशल मीडिया में सारी चर्चा संसद के विशेष सत्र पर थी, जिसकी घोषणा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक्स पर दो लाइन की पोस्ट में की थी। इसके बाद विपक्ष ने सवाल उठाए कि आखिर सरकार क्यों यह स्पष्ट नहीं कर रही है कि इस विशेष सत्र का एजेंडा क्या है? हालांकि सरकार ने विपक्ष की मांग को यह कर ठुकरा दिया कि सत्र का एजेंडा पहले रखने की परंपरा नहीं है।
संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से शुरू हो रहा है, इसे लेकर चर्चा यह थी कि सत्र में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर चर्चा हो सकती है और सरकार इसपर कानून बना सकती है, लेकिन फिलहाल यह एक अटकल है।दूसरी चर्चा देश के नाम को लेकर की जा रही थी कि सत्र का एजेंडा स्थायी रूप से देश का नाम इंडिया से भारत में बदलने को लेकर होगा। लेकिन विशेष सत्र का एजेंडा अभी तक सिर्फ कयासों तक सीमित है।
माना यह भी जा रहा है कि सरकार इस अवसर का यूज G20 शिखर सम्मेलन और चंद्रयान-3 लैंडिंग की सफलता को देश के सामने रखने के लिए कर सकती है।
इंडियन एक्स्प्रेस की खबर के मुताबिक इस तरह की भी अटकलें है कि इस सत्र में सरकार कुछ ऐसा कदम उठाने वाली है जिसका आने वाले चुनावों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। इन अटकलों में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देने का प्रस्ताव, समान नागरिक संहिता लाने की दिशा में एक कदम, लंबे समय से प्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना या ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में कदम हो सकता है। हालांकि बीजेपी के कई बड़े नेताओं को भी विशेष सत्र के एजेंडे का अंदाजा नहीं है।