तारीख पर तारीख और तारीख। भारत की अदालतों की एक बड़ी व्यथा है। वकील केस में बहस करने के बजाए तारीख लेने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के कई जज इस बात पर आपत्ति जता चुके हैं। लेकिन इन सारे घटनाक्रमों के बीच एक लेडी एडवोकेट के तेवरों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को भी इंप्रेस कर दिया। वकील की बहस सुनकर वो इस कदर प्रभावित हुए कि रिट को डिसमिस कर बोले- उम्मीद है कि आपकी बहस फिर से अपनी कोर्ट में देखने को मिली। वकील ने जिस तरह से अपनी PIL के लिए दलीलें पेश कीं वो सीजेआई को इंप्रेस कर गईं। उनका कहना था कि अपने केस को लेकर ऐसी ही संजीदगी दिखनी चाहिए। वकीलों को अपने केस को लिस्ट कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर मारना चाहिए।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई कोर्ट नंबर 1 में PIL की सुनवाई कर रहे थे। हालांकि जनहित याचिकाओं पर पहले कई अदालतों में सुनवाई हो जाती थी। लेकिन नए नियम के तहत सीजेआई ने ऐसी सारी याचिकाओं पर खुद सुनवाई करने का फैसला किया है। इसी क्रम के तहत महिला वकील ने अपना केस सीजेआई के सामने रखा। एडवोकेट ने दलीलें देकर बताने की कोशिश की कि ये केस कितना अहम है।
ध्यान रहे कि अक्सर वकील केस की सुनवाई के दौरान तारीख लेने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। उनके इस रवैया पर सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस ने तीखी टिप्पणी भी की थी। उनका कहना था कि शीर्ष अदालत तक पहुंचने में किसी भी शख्स का बहुत सारा पैसा और समय लगता है। ऐसे में वकीलों को चाहिए कि वो केस की सुनवाई के दौरान अपनी दलीलें कोर्ट में रखें। लेकिन एडवोकेट तुरंत तारीख लेने की जुगत भिड़ाने लग जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में कई बार ऐसे वाकये सामने आए हैं जब Adjournment को लेकर जस्टिसेज के सामने ही वकील आपस में भिड़ गए। एक पक्ष तारीख मांग रहा था तो दूसरा सुनवाई पर अड़ा था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कई सीनियर वकील कोर्ट में भिड़ चुके हैं। दरअसल वकीलों को गुस्सा तब आया जब सॉलिसिटर किसी अहम मसले पर स्थगन मांग रहे थे। वकीलों का कहना था कि तारीख को आगे बढ़वाना उनकी आदत बन गई है।