यूक्रेन संघर्ष पर जी20 नेताओं के घोषणापत्र का पाठ विभाजनकारी आम सहमति के बजाय समान राय वाली आम सहमति है और यह संकट के समाधान का रास्ता दिखा सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। इससे एक दिन पहले, भारत ने बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल करते हुए जी20 देशों के बीच इस विवादित मुद्दे पर आम सहमति बना ली थी। सूत्रों ने नई दिल्ली घोषणापत्र (नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन) पर सदस्य देशों के बीच पूरी तरह से आम सहमति बनने का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गांरटी और जादू का संयोजन है।
यूक्रेन संघर्ष के विवादित मुद्दे पर जी20 देशों के बीच अभूतपूर्व आम सहमति बनाने में भारत कामयाब रहा और ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका एवं इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई। सूत्रों ने कहा कि जी20 घोषणापत्र में आम सहमति की प्रकृति को देखना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह (घोषणापत्र) वास्तव में विभिन्न मुद्दों पर 47 उप-आम सहमति को दर्शाता है। उन्होंने इसका विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि घोषणापत्र में करीब 10 वृहद थीम हैं, और 37 उप-विषय हैं तथा सभी देश उन पर सहमत हो गए हैं। सूत्रों ने बताया कि कुल मिलाकर जी20 शिखर सम्मेलन का निष्कर्ष भारत और उसके नेतृत्व को लोकतांत्रिक मूल्यों को जोड़ने वाले केंद्र के रूप में प्रदर्शित करता है।
उन्होंने कहा कि घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष पर पैराग्राफ को पिछले साल के बाली घोषणापत्र के परिप्रेक्ष्य में नहीं देखा जाना चाहिए। एक सूत्र ने कहा, यह विभाजनकारी आम सहमति के बजाय समान राय वाली आम सहमति है। उन्होंने कहा कि घोषणापत्र में अपनाया गया रुख इस संकट से निपटने की स्थायी रूपरेखा को प्रदर्शित करता है, जबकि विभाजनकारी आम सहमति हमेशा नाजुक होती है।
सूत्र ने कहा, “सर्वसम्मति उल्लेखनीय है और दस्तावेज में समग्र दृष्टिकोण एक वृहद संदर्भ को दशार्ता है। यूक्रेन संघर्ष से संबंधित पैराग्राफ विचारों के आदान-प्रदान से कहीं अधिक है। इसलिए विदेश मंत्री ने कहा कि बाली, बाली है और नई दिल्ली, नई दिल्ली है।” पिछले साल बाली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में जारी घोषणापत्र में, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़े शब्दों में निंदा की गई, जबकि ज्यादातर सदस्यों ने युद्ध की कड़ी निंदा की। नई दिल्ली घोषणापत्र में यह शामिल नहीं है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा, बाली घोषणापत्र के साथ तुलना के संबंध में, मैं केवल यही कहूंगा कि बाली, बाली था और नई दिल्ली, नई दिल्ली है। मेरा मतलब है, बाली (जी20 शिखर सम्मेलन) को एक साल हो गया है। उन्होंने कहा, तब स्थिति अलग थी। तब से कई चीजें हुई हैं। और वास्तव में यदि आप घोषणापत्र के भू-राजनीतिक खंड में देखें, तो कुल आठ पैराग्राफ हैं, जिनमें से सात वास्तव में यूक्रेन मुद्दे पर केंद्रित हैं।
नई दिल्ली घोषणापत्र में वर्तमान स्थिति और चिंताओं का जवाब दिया गया है, ठीक उसी तरह जैसे एक साल पहले बाली घोषणापत्र में किया गया था। नई दिल्ली घोषणापत्र में केवल यूक्रेन में यू का संदर्भ दिया गया है और दुनियाभर में युद्ध और संघर्षों के प्रतिकूल प्रभाव तथा मानवीय पीड़ा पर गहरी चिंता जताई गई है। क्या चीन ने वातार्कारों के लिए समस्याएं खड़ी की, सूत्रों ने कहा कि ऐसा नहीं था और भारत ने समावेशी रुख अपनाया, जो सभी को साथ लेकर चलने पर केंद्रित था।