जी20 शिखर सम्मेलन में शनिवार (9 सितंबर 2023) को उद्घाटन सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के ताकतवर देशों के सामने भारत की सांस्कृतिक विरासत की चर्चा की। उन्होंने अपनी बात शुरू करने से पूर्व शनिवार सुबह मोरक्को में आए भूकंप से प्रभावित लोगों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा, “हम प्रार्थना करते हैं कि सभी घायल लोग शीघ्र स्वस्थ हों। इस कठिन समय में पूरा विश्व समुदाय मोरक्को के साथ है। हम उन्हें हर संभव सहायता पहुंचाने के लिए तैयार हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए कहा, “भारत की जी20 की अध्यक्षता देश के अंदर और बाहर दोनों जगह ‘सबका साथ’ का प्रतीक बन गई है। यह भारत में लोगों का जी20 बन गया है। करोड़ों भारतीय इससे जुड़े हुए हैं। 60 से अधिक शहरों में देश की 200 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं। ‘सबका साथ’ की भावना के साथ भारत ने प्रस्ताव दिया कि अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता दी जाए। मेरा मानना है कि हम सभी इस प्रस्ताव से सहमत हैं।”
पीएम ने कहा, “मैं आप सबकी सहमति से आगे की कार्यवाही शुरू करने से पहले अफ्रीकन यूनियन अध्यक्ष को जी 20 के स्थाई सदस्य के रूप में अपना स्थान ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करता हूं। इस प्रस्ताव पर सभी देशों के नेताओं ने ताली बजाकर सहमति जताई। इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कोमोरोस संघ के राष्ट्रपति और अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष (President of the Union of Comoros and the Chairperson) अजाली औसमानी (Azali Assoumani) के पास पहुंचकर उनको ले आए और जी20 के सदस्य देशों के साथ सीट पर बैठाया।
जी 20 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, “आज जी 20 के अध्यक्ष के रूप में भारत दुनिया से वैश्विक विश्वास की कमी को विश्वास और निर्भरता में बदलने का आह्वान करता है। यह हम सभी के लिए एक साथ आगे बढ़ने का समय है।” इस बार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ का मंत्र हमारे लिए पथ प्रदर्शक बन सकता है। चाहे वह उत्तर और दक्षिण के बीच विभाजन हो, पूर्व और पश्चिम के बीच की दूरी हो, भोजन और ईंधन का प्रबंधन हो, आतंकवाद हो, साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा या जल सुरक्षा, हमें भावी पीढ़ियों के लिए इसका ठोस समाधान ढूंढना होगा।”
भारत में जी 20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “21वीं सदी दुनिया को नई दिशा दिखाने का एक महत्वपूर्ण समय है। यह वह समय है जब पुरानी समस्याएं हमसे नए समाधान मांग रही हैं और इसलिए हमें आगे बढ़ना चाहिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना…अगर हम कोविड-19 को हरा सकते हैं, तो हम युद्ध के कारण उत्पन्न विश्वास की कमी पर भी विजय पा सकते हैं।”