G20 Summit: देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित जी-20 समिट की हर तरफ चर्चा हो रही है। इस ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन की खास बात यह रही है कि इसमें सभी देशों की सहमति के बाद पहले दिन ही वह घोषणापत्र जारी हो गया, जिसको लेकर तमाम तरह की अकटलें लग रही थीं। किसी भी सम्मेलन को तभी सफल माना जाता है, जब उसके घोषणा पत्र पर हर देश की सहमति हो। घोषणापत्र पर न रूस-यूक्रेन युद्ध का साया आया और न ही चीन की चाल, लेकिन अब इस घोषणा पर यूक्रेन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
शनिवार को सर्वसम्मति से जारी जी-20 के नई दिल्ली घोषणा-पत्र में यूक्रेन में चल रहे युद्ध का जिक्र तो किया गया, लेकिन रूस की आलोचना नहीं की गई। इस घोषणा-पत्र में सात पैराग्राफ यूक्रेन युद्ध पर हैं, लेकिन इनमें एक जगह भी रूस का जिक्र नहीं है।
यूक्रेन ने अब इस पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि ‘रूस के युद्ध पर आए बयान में गर्व करने लायक कुछ भी नहीं है।’ वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घोषणा पत्र को ऐतिहासिक कहा था और इसके सर्वसम्मति से पारित होने को एक उपलब्धि बताया।
जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन युद्ध पर चर्चा होने की संभावनाएं जताई गई थी। कयास लगाए जा रहे थे कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर मतभेदों की वजह से साझा बयान जारी करने में चुनौतियां आ सकती हैं, लेकिन शनिवार को जारी बयान में ‘जमीन पर कब्जे के लिए आक्रमण और बल के प्रयोग’ की आलोचना की गई, लेकिन रूस का सीधे तौर पर नाम लेने से बचा गया।
इस घोषणा पत्र यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग नीकोलेन्को ने कहा, ‘यूक्रेन उन सहयोगी देशों का आभारी है, जिन्होंने टेक्स्ट में सख्त शब्दों को शामिल करवाया, लेकिन ठीक इसी समय, यूक्रेन पर रूस की आक्रामकता के संदर्भ में, जी-20 समूह ने कुछ ऐसा नहीं किया है, जिस पर गर्व किया जाए।’
यूक्रेन युद्ध में अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश खुले तौर पर यूक्रेन की मदद कर रहे हैं और उसे हथियार भी मुहैया कराये हैं। ऐसे में घोषणा पत्र में रूस का नाम न होने को इसे रूस की जीत के रूप में भी देखा जा रहा है।