Alind Chauhan
अफ्रीकन यूनियन (AU) को शनिवार (9 सितंबर) को जी20 के नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया। अफ्रीकन यूनियन अफ़्रीका महाद्वीप पर स्थित 55 सदस्य देशों का एक Intergovernmental Organisation है। इसका गठन 9 जुलाई 2002 को किया गया था और यह Organisation of African Unity (OAU) का उत्तराधिकारी है, जिसका गठन 1963 में हुआ था। AU की वेबसाइट के अनुसार यह एकीकृत, समृद्ध और शांतिपूर्ण अफ्रीका का निर्माण करना चाहता है।
AU का सचिवालय अफ्रीकी संघ आयोग अदीस अबाबा में स्थित है। लगभग 1.4 बिलियन लोगों के साथ समूह का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 3 ट्रिलियन डॉलर है।
AU का उद्देश्य अफ्रीकी देशों को एक साथ लाना और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से आम मुद्दों को हल करना है। हालांकि इसका मुख्य फोकस महाद्वीप पर उपनिवेशित देशों को आज़ाद कराने में मदद करना है। ऐसा करने के लिए OAU ने भी राजनयिक समर्थन जुटाया और पूरे अफ्रीका में मुक्ति आंदोलनों को सैन्य सहायता प्रदान की।
AU अपनी ऊर्जा और संसाधनों को अफ्रीकी देशों और उनके लोगों के बीच अधिक एकता और एकजुटता हासिल करने पर केंद्रित करता है। इसका उद्देश्य महाद्वीप के राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक एकीकरण की प्रक्रिया को तेज़ करना है। इसके अलावा AU उन बहुमुखी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं का समाधान करता है जिनका अफ्रीकी देश सामना कर रहे हैं। इसके प्रमुख उद्देश्यों में पूरे क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देना भी शामिल है। मानवाधिकारों की रक्षा और प्रचार-प्रसार भी एजेंडे का हिस्सा है।
AU के कई शांति मिशनों ने सरकारों को साहेल से लेकर उत्तरी मोजाम्बिक तक पूरे अफ्रीका में आतंकवाद से निपटने में मदद की है। पिछले कुछ वर्षों में संगठन ने बुरुंडी, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोमोरोस, दारफुर, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान और माली जैसे देशों में हिंसा को रोका है। AU के कूटनीतिक प्रयासों के परिणामस्वरूप अफ्रीका में संघर्षों का समाधान भी हुआ है। पिछले साल इसने इथियोपियाई सरकार और दक्षिण अफ्रीका में टाइग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) के बीच एक शांति समझौता कराया था।