हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक अहम सुनवाई हुई है। उस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हेट स्पीच के मामलों से निपटने के लिए प्रशासनिक तंत्र बनाने पर विचार जरूर किया है, लेकिन ये भी साफ कहा गया है कि पूरे देश में इस पर नजर रखना मुश्किल है। जोर देकर कहा गया कि अगर एक-एक सभी मामलों को सुना गया तो अर्जियों की बाढ़ जाएगी।
अभी के लिए सुप्रीम कोर्ट अगले साल फरवरी में हेट स्पीच को लेकर अहम सुनवाई करने जा रहा है। क्या एक अलग से तंत्र बनाया जा सकता है, इसी पहलू पर कुछ याचिकाओं पर सर्वोच्च अदालत फैसला करने वाला है। बुधवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पूरे देश में हेट स्पीच के मामलों पर निगरानी नहीं रखी जा सकती। भारत जैसे बड़े देश में तो ये होगा ही, लेकिन सवाल ये है कि क्या इन मामलों से निपटने के लिए हमारे पर कोई तंत्र मौजूद है?
वैसे सुनवाई के दौरान जस्टिस एसवीएन भट्टी ने भी अहम टिप्पणी की थी। उनकी तरफ से सख्त लहजे में कहा गया कि अगर कानून टूटता है तो देश की जनता को पता होना चाहिए कि कार्रवाई तो होगी ही। लेकिन ये कार्रवाई देशभर के आधार पर संभव नहीं है क्योंकि उस स्थिति में अर्जियां कभी खत्म नहीं होंगी। अब जानकारी के लिए बता दें कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ही हेट स्पीच को लेकर एक आदेश जारी किया था।
उस आदेश में कहा गया था कि हर राज्य में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाए जो ये देखेगा कि हेट स्पीच के मामले सामने ना आए। तब कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर समय रहते एक्शन नहीं लिया जाएगा तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा।